ब्रज की होली के अनेको रंग हैं. अपना सब कुछ छोड़ कर राधा और कृष्ण की भक्ति में लीन होकर ब्रज में निवास कर रहीं विधवा महिलाओं की जिंदगी में ब्रज के रंगों की ही रंगोली देखने को मिलती है.
कहते हैं सब जग होरी, ब्रज में होरा. होली में करीब डेढ़ महीने तक ब्रज में उत्सव मनाया जाता है. मथुरा के राधाकुंड मैत्री विधवा आश्रम में रह रही विधवा महिलाओं ने होली खेली. यह वह महिलाएं हैं जो अपना परिवार छोड़कर यहां पर निवास करती हैं. ये सब यहां पर एक परिवार की ही तरह रहती हैं और अब इनका परिवार भी एक दूसरे के साथ ही है.
ब्रज की विधवा महिलाओं ने इस बार फूलों के साथ होली खेली. होली के रंग में साराबोर, नाचते हुए अपनी खुशी का इजहार कर रही हैं. यह पर्व इनकी जिंदगी का बेहद खास पर्व है. इस खुशी में इनके साथ शामिल होने के लिए विधवा आश्रम से जुड़े लोग भी तैयारियों में जुटे रहते हैं.
मिथिला परिक्रमा के क्रम में होली मिलन
वहीं भगवान राम के ससुराल माने जाने वाले नेपाल की जनकपुरधाम में होली के दस दिन पहले ही होली मनाई गई. मान्यता है कि भगवान राम एवं माता जानकी ने नेपाल के मोहतरी जिला के कंचनवन में ही पहली बार होली मिलन किया था. उसके बाद से ही हर साल इस परिक्षेत्र में होली पर्व बड़े धूमधाम से मनाई जाती है.
शिवरात्रि के बाद राजा जनक की परिक्षेत्र (इलाका) लगभग 85 कोस की परिक्रमा की जाती है. जिसका समापन जनकपुरधाम में होता है यह परिक्रमा नेपाल जिला के महोत्तरी, धनुसा सहित बिहार के सीतामढ़ी और मधुबनी में भी की जाती है.
इस परिक्रमा में राम भक्त हर साल इस पूरे क्षेत्र की परिक्रमा करते हैं. हर साल यहां एक कर्यक्रम के माध्यम से बड़े ही धूमधाम से होली मनाई जाती है. सभी एक दूसरे को अबीर के साथ मिष्ठान खिलाते है और मिथिला रीत के मधुर गीत संगीत पर झूमकर एक दूसरे को पर्व की बधाई देते हैं.