Chaiti Chhath Puja: छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. एक कार्तिक माह में तो दूसरा चैत्र माह में मनाया जाता है. यह पर्व भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है. इस पर्व में भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और छठी मैय्या की पूजा की जाती है. चैती छठ पूजा की उतनी ही मान्यताएं है, जितना कि कर्तिक महिने के छठ पूजा की होती है. चैत्र महीने की छठ पूजा भी उतनी ही धूमधाम से मनाई जाती है, जितना की कार्तिक माह की छठ पूजा मनाई जाती है. आइए जानते है चैत्र छठ पूजा से जुड़ी खास बातें.
छठ पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. छठ पूजा में व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष 36 घंटे का कठिन उपवास रखती हैं. इसमें डूबते और उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और छठी मैय्या की पूजा की जाता है. चार दिनों तक मनाएं जाने वाले इस पर्व में नहाय खाय, खरना, चैती छठ और परना होता है. चैती छठ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर सप्तमी तिथि तक मनाई जाती है.
चैती छठ कब है जानें सही तारिख और पूजा विधि
1 अप्रैल - चैत्र शुक्ल चतुर्थी तिथि के दिन नहाय खाय होगा.
2 अप्रैल - चैत्र शुक्ल पंचमी तिथि के दिन खरना किया जाएगा.
3 अप्रैल - चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि को चैती छठ का संध्या अर्ध्य दिया जाएगा.
4 अप्रैल - चैत्र शुक्ल सप्तमी तिथि को सुबह की अर्ध्य दिया जाएगा उसी दिन परना भी होगा.
नहाय-खाय पर क्या करें?
चैती छठ पूजा के पहले दिन 1 अप्रैल को नहाय खाय हो चुका है. नहाय खाय में व्रती लोग नदी, तलाब में स्नान करते हैं.. उन्हें साफ सफाई और शुध्दता का ध्यान रखना चाहिए. इस दिन कद्दू की सब्जी, चावल, चने की दाल के पकवान बनाएं जाते है. इस खाने को सबसे पहले भोग लगाकर व्रती खाते हैं. फिर घर के अन्य लोग और पड़ोसियों को बांटा जाता है.
खरना
चैती छठ पूजा के दूसरे दिन यानी 2 अप्रैल को खरना है. इस दिन व्रत करने वाले लोग सुबह से व्रत में रहते है और रात में खीर-पूरी बनाई जाती है. फिर छठी मैय्या को भोग लगाकर व्रत करने वाले इस भोग को ग्रहण करते है. फिर इस प्रसाद को सभी को दिया जाता है. इसके बाद व्रती को 36 घंटे तक निर्जला व्रत शुरू होता है.
पहला अर्ध्य
चैती छठ पूजा का तीसरा दिन यानी 3 अप्रैल को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन घर के सभी लोग फलों से भरे टोकरियां नदी या तलाब लेकर जाते हैं. फिर सभी फलों को सूर्य देव को चढ़ाया जाता है. उसके साथ ही सूर्य देव के दूध और पानी का अर्ध्य दिया जाता है.
दूसरा अर्ध्य और परना
चैती छठ पूजन के चौथे दिन यानी 4 अप्रैल की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रती परना करते हैं. इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है. भगवान सूर्य और छठी मैय्या का पूजा किया जाता है. इसके बाद यह कठिन व्रत समाप्त होता है. फिर सबको प्रसाद दिया जाता है. और व्रत करने वाले प्रसाद खाकर परना करते है.