बिहार और झारखंड का सबसे बड़ा महापर्व छठ पूरे देश में बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक चलने वाला चार दिन का ये पर्व आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न हो गया.
चौथे दिन सुबह का अर्घ्य
छठ पर्व के चौथे दिन सुबह के समय सूर्य निकलने से पहले ही लोग घाटों पर पहुंच गए और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर इस महा अनुष्ठान का समापन हुआ. इसके बाद घाटों पर छठ माता को प्रणाम कर उनसे संतान-रक्षा का वरदान मांग कर लोगों ने प्रसाद बांट कर और फिर व्रतियों ने खुद भी प्रसाद खाकर इस व्रत को खोला.
पूरे देश में हुई सूर्य की उपासना
दिल्ली-एनसीआर के साथ ही पूरे देश में लोगों ने नदी, तालाबों और तो कुछ लोगों ने घर पर ही स्वीमिंग पूल बनाकर उसमें खड़े होकर छठ पूजा की और सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोला. इस दौरान भजनों और छठ के गीतों ने भी त्योहार के माहौल को और खुशनुमा बना दिया.
छठ मैया की महिमा
गौरतलब है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी की तिथि तक भगवान सूर्यदेव की अटल आस्था का पर्व छठ पूजा मनाया जाता है. नहाय खाय के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत हो जाती है. चार दिन तक चलने वाले इस आस्था के महापर्व को मन्नतों का पर्व भी कहा जाता है.
इसके महत्व का इसी बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इसमें किसी गलती के लिए कोई जगह नहीं होती. इसलिए शुद्धता और सफाई के साथ तन और मन से भी इस पर्व में जबरदस्त शुद्धता का ख्याल रखा जाता है.
अर्घ्य के दौरान डूबते और उगते सूर्य को आटे से बने पकवान, दूध, गन्ना, केला और नारियल का भोग लगाते हैं.