छठ त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है. पहली बार चैत्र महीने में और दूसरी बार कार्तिक महीने में. भगवान सूर्य की उपासना के साथ छठ पर्व की शुरुआत होती है. हिंदू धर्म में किसी भी पर्व की शुरुआत स्नान के साथ ही होती है और यह पर्व भी स्नान यानी नहाय-खाय के साथ होता है. कार्तिक महीने में छठ मानने का विशेष महत्व है.
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. जानिये नहाय खाय की विधि और इससे जुड़ी सावधानियां...
- सबसे पहले घर की पूरी साफ-सफाई कर लें. सुबह नदी तालाब, कुआं या चापा कल में नहा कर शुद्ध साफ वस्त्र पहनते हैं. अगर घर के पास गंगा जी हैं तो नहाय खाय के दिन गंगा स्नान जरूर करें. यह बहुत ही शुभ होता है.
- छठ करने वाली व्रती महिला या पुरुष चने की दाल और लौकी शुद्ध घी में सब्जी बनाती है. उसमें सेंधा शुद्ध नमक ही डालते हैं.
- बासमती शुद्ध अरवा चावल बनाते हैं. गणेश जी और सूर्य को भोग लगाकर व्रती सेवन करती हैं.
- घर के सभी सदस्य भी यही खाते हैं.
- घर के सदस्य को मांस मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना. रात को भी घर के सदस्य पूड़ी सब्जी खाकर सो जाते हैं. व्रत रखने वाली महिला या पुरुष जमीन पर सोते हैं.
- अगले दिन खरना मनाया जाएगा.
इन बातों का रखें ख्याल
- नहाय खाय के दिन व्रती को हमेशा साफ सुथरे और धुले कपड़े ही पहनना चाहिए.
- नहाय खाय से छठ समाप्त होने तक व्रती महिला और पुरुष को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए.
- घर में भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन न हो.
- साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें. पूजा की किसी भी वस्तु को जूठे या गंदे हाथों से ना छूएं.