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Dev Diwali 2022: कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही क्यों मनाते हैं देव दीपावली? राक्षस से जुड़ी है पौराणिक कथा

Dev Diwali 2022: देव दीपावली 7 नवंबर 2022, सोमवार को मनाई जा रही है. मान्यता के मुताबिक, इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. राक्षस से मुक्ति मिलने की खुशी मनाने देवी-देवता इस दिन काशी के गंगा घाट पर दिवाली मनाने उतरे थे. कब से इस त्योहार को मनाया जा रहा है. देव दीपावली की पौराणिक कथा, मुहूर्त, महत्व, दीपदान करने का तरीका आर्टिकल में जानेंगे.

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देव दीपावली पर काशी में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. (Image credit: Getty images)
देव दीपावली पर काशी में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. (Image credit: Getty images)

Dev Diwali 2022: देव दीपावली आज 7 नवंबर, सोमवार को मनाई जा रही है. इसे त्रिपुरोत्सव और त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. देव दीपावली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है. 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण के कारण देव दीपावली एक दिन पहले मनाई जा रही है. इस दिन देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी कृपा बनी रहती है. इस दिन नदी में स्नान करने और दीपदान करने का भी बहुत महत्व है. 

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मान्‍यता है कि इस दिन देवी-देवता धरती पर उतरते हैं और काशी में दिवाली मनाते हैं इसलिए इस त्योहार को देव दीपावली कहा जाता है. इस दिन काशी और गंगा घाटों पर काफी रौनक रहती है और दीपदान किया जाता है.

कार्तिक पूर्णिमा पर इसलिए मनाते हैं देव दीपावली

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस ने धरती वासियों को परेशान कर रखा था और उससे त्रस्त होकर सभी देवतागण भगवान शिव के पास पहुंचे. भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था. उससे मुक्ति मिलने के बाद देवता भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे और वहां दीप प्रज्जवलित कर खुशी मनाई. तब से लेकर आज तक यह त्योहार मनाया जा रहा है.

देव दीपावली 2022 शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि 7 नवंबर शाम 4 बजकर 15 मिनट से शुरू होगी और 8 नवंबर को शाम 4 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी. 8 नवंबर को चंद्रग्रहण होने के कारण देव दीपावली एक दिन पहले मनाई जा रही है जिसका मुहूर्त आज यानी 7 नवंबर को शाम 5 बजकर 14 मिनट से शाम 7 बजकर 49 मिनट तक है. शुभ मुहूर्त में पूजन के लिए 2 घंटे 32 मिनट का समय मिलेगा.

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ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, देव दीपावली में पूजा और दीपदान प्रदोष काल में करना शुभ माना गया है इसलिए शाम 5 बजकर 14 मिनट से 7 बजकर 49 मिनट का समय उत्तम रहेगा.

देव दीपावली पर ऐसे करें दीपदान  

देव दीपावली पर शाम के समय प्रदोष काल में 11, 21, 51 या 108 आटे के दिये बनाकर उनमें तेल या घी डालें. इसके बाद किसी नदी किनारे जाएं और देवी-देवताओं और ईष्ट देवों का स्मरण करें. इसके बाद दीपक की कुमकुम, अक्षत, हल्दी और फूल से पूजा करें और फिर उन्हें प्रज्जवलित करने के बाद नदी में विसर्जित करें.
 
दीपदान का महत्व

मान्यताओं के मुताबिक, देव दीपावली यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवी-देवता काशी में गंगा किनारे दीपावली मनाने आते हैं. बताया जाता है कि अगर कोई इस दिन प्रदोष काल में दीपदान करता है तो उसे जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है. बताया जाता है कि इस दिन भगवान शिव के निमित्त दीपक जलाने से भी जीवन में खुशहाली आती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. मान्यता है कि देव दीवाली पर दीपदान करने से यम, शनि, राहु-केतु के प्रभाव भी कम होते हैं. 
 

 

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