देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु का शयन काल माना जाता है. पुराणों के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं. इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं और अगले चार महीनों तक किसी भी मांगलिक कार्य पर रोक लग जाती है. ये एकादशी आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. इस बार देवशयनी एकादशी 20 जुलाई 2021 दिन मंगलवार को मनाई जाएगी. आइए जानते हैं ज्योतिर्विद करिश्मा कौशिक से देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और इसका महत्व.
देवशयनी एकादशी का शुभ मुहूर्त:
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 19 जुलाई 2021 को रात 9 बजकर 59 मिनट
एकादशी तिथि समाप्त- 20 जुलाई 2021 को रात 7 बजकर 17 मिनट तक
देवशयनी एकादशी का महत्व:
करिश्मा कौशिक कहती हैं कि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. इसलिए इस मास को चतुर्मास भी कहा जाता है. इस दिन से भगवान शिव संसार का संचालन करते हैं. इस दिन से सभी मांगलिक कार्य करना वर्जित हो जाता है. इसके बाद देवउठनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्य फिर से आरंभ हो जाते हैं.
शालिग्राम की पूजा करना होता है शुभ:
देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्व है. क्योंकि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन शालिग्राम की पूजा करना भी शुभ माना जाता है. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद पीले वस्त्र, पीले फूल, पीली मिठाई अर्पित करके इनकी पूजा-अराधना करने के बाद भगवान विष्णु को चार महीनों के लिए शयन कक्ष में सुलाया जाता है. इसके अलावा, आप शालिग्राम की भी विधिवत पूजा करके इन्हें शयन कक्ष में विश्राम करवा सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि शालिग्राम भी भगवान विष्णु का ही स्वरूप है.
इन चीजों का करें दान:
देवशयनी एकादशी पर व्रत करने से जीवन की सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व है. इस दिन पीली वस्तु दान करना या लक्ष्मी-नारायण के मंदिर में तुलसी के पौधे का दान करना भी शुभ माना जाता है. इसके अलावा, केले के वृक्ष की पूजा करना भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. देवशयनी एकादशी के दिन ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें या विष्णु सहस्त्र नामावली का पाठ करें. इसके अलावा, विष्णु चालीसा का पाठ करें.