Devshayani Ekadashi Date: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी आती है. इस बार देवशयनी एकादशी 10 जुलाई 2022 को है. ऐसे में देवशयनी एकादशी के दिन से ही भगवान विष्णु का शयनकाल शुरू हो जाता है. देवशयनी एकादशी से आने वाले 4 महीनों तक भगवान विष्णु शयनकाल में रहते हैं. इसके बाद कार्तिक मास की शुक्ल की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु जागते हैं. 4 महीनों के इस समय को चतुर्मास कहा जाता है. ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडल,जनेऊ आदि कार्य करने की मनाही होती है. क्या आप जानते हैं चार महीने के लिए क्यों शयनकाल में चले जाते हैं भगवान विष्णु. आइए जानते हैं इससे जुड़े रहस्य
4 महीने के लिए क्यों सो जाते हैं भगवान विष्णु
चतुर्मास को बरसात का समय माना जाता है. इस दौरान पूरी दुनिया बाढ़ की समस्या से जूझ रही होती है. इस समय दुनिया में वार्षिक प्रलय आती है और दुनिया खुद को एक नए सिरे से तैयार कर रही होती है. साथ ही सूर्य इस दौरान दक्षिण की तरफ जाता है और कर्क राशि में प्रवेश करता है. कर्क राशि का चिह्न केकड़ा है. माना जाता है कि केकड़ा सूर्य के प्रकाश को खा जाता है जिस कारण दिन छोटे होने लगते है.
ऐसा भी माना जाता है कि इस समय दुनिया में अंधकार छा जाता है. इस उथल-पुथल को संभालने में भगवान विष्णु इतना थक जाते हैं कि वह 4 महीने की निद्रा में चले जाते हैं. ऐसे में इस दौरान भगवान विष्णु दुनिया को संभालने का सारा काम अपने अलग-अलग अवतारों को सौंपकर जाते हैं.
भगवान विष्णु आषाढ़ मास की एकादशी से कार्तिक मास की एकादशी तक निद्रा में रहते हैं. इन चार महीनों के दौरान पृथ्वी की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है. जितने दिन भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं, उतने दिन उनके अवतार सागर में संजीवनी बूटी तैयार करते हैं. ताकि धरती को फिर से उपजाऊ बनाया जा सके.
चतुर्मास में क्यों नहीं किए जाते कोई भी शुभ कार्य
आषाढ़ मास से वर्षा ऋतु का मौसम शुरू हो जाता है. इस दौरान लोगों को बारिश-बाढ़ का सामना करना पड़ता है. ऐसे में मांगलिक कार्य करना काफी मुश्किल हो जाता है. बारिश का मौसम होने के कारण इस दौरान रोगों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. इस दौरान लोगों की बीमारियों से लड़ने की क्षमता काफी कम हो जाती है.
माना जाता है कि इन चार महीनों में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव काफी ज्यादा बढ़ जाता है और सकारात्मक शक्तियां कमजोर पड़ने लगती हैं. जिस कारण भी कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते.
देवशयनी एकादशी पर इस तरह कराएं भगवान विष्णु को शयन
इस दिन भगवान विष्णु को शयन कराने के लिए भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराया जाता है. इसके बाद धूप और दीप से पूजा करें. इसके बाद भगवान विष्णु के शयन के लिए बिस्तर तैयार करें. शयन के लिए पीले रंग का कपड़ा लाकर भगवान विष्णु को शयन कराएं. भगवान विष्णु के शयनकाल के दौरान सावन, शारदीय नवरात्रि, करवा चौथ, दीपावली और छठ पूजा जैसे व्रत और त्योहार आते हैं.