कई बार ऐसा हुआ है जब कृष्णजन्माष्टमी को दो अलग-अलग दिनों में मनाया गया है. इस वजह से कई लोगों को परेशानी होती है कि वो कब भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाएं. हिंदू धर्म के अनुसार कोई भी शुभ कार्य उदयातिथि में किया जाता है. भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव भी उदयातिथि में 15 अगस्त को पूरे उत्तर भारत में मनाया जाएगा.
वैष्णव संम्प्रदाय के लोग दुनियाभर में 15 अगस्त के दिन कन्हैया का जन्मदिन मनाएंगे. भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा में भी 15 अगस्त के दिन जन्माष्टमी मनाने के लिए भक्त जोर शोर से तैयारी कर रहे हैं.
इसलिए आप भी बिना किसी संदेह के 15 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मना सकते हैं. भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. साल 2017 में अष्टमी तिथि का आरंभ 14 अगस्त की शाम को होगा.
अष्टमी तिथि आरंभ – 7:45 (14 अगस्त)
अष्टमी तिथि समाप्त – 5:39 (15 अगस्त)
इसलिए स्मार्त सम्प्रदाय के लोग 14 अगस्त की रात को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाएंगे. लेकिन उदयातिथि को महत्वपूर्ण मानने वाले वैष्णव सम्प्रदाय के लोग 15 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे.
कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि
- सबसे पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण कर पूजा के लिए तैयार हो जाएं सारी सामग्री एकत्र कर लें
- भगवान कृष्ण की प्रतिमा चौकी में स्थापित करें
- भगवान कृष्ण का हाथ जोड़कर आवाहन करें
- आवाहन करने के बाद पुष्प भगवान कृष्ण के चरणों में अर्पित करें
- भगवान कृष्ण का जल से अभिषेक करें
- भगवान कृष्ण को वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें
- चंदन ,रोल और अक्षत अर्पित कर पूजन करें
- कृष्णजी को इत्र अर्पित करें
- कृष्ण जी को पुष्प की माला अर्पित करें
- कृष्ण जी को धूप और दीप दिखाएं
- कृष्ण जी को फल और माखन, मिसरी अर्पित करें
- कृष्ण जी को दक्षिणा अर्पित करें
- पूरे परिवार के साथ आरती की थाली सजा कर कृष्ण जी की आरती करें
- भगवान कृष्ण से पूजा में हुई अज्ञात भूल के लिए क्षमा प्रार्थना करें