Ganga Dussehra 2021: गंगा दशहरा मुख्यतः माँ गंगा के अवतरण का दिन है. ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी को माँ गंगा का प्राकट्य हुआ था. गंगा दशहरा के दिन माँ गंगा भगवान शिव की जटाओं से निकल के धरती पर आई थीं. उनके धरती पर आने के बाद ही राजा भागीरथ के पूर्वजों की तृप्ति हुई थी. गंगा दशहरा के दिन स्नान और दान करने से पापों का नाश होता है तथा पूर्वजों की तृप्ति होती है. इस दिन भगवान शिव की पूजा का भी विशेष महत्व है. इस बार गंगा दशहरा का पर्व 20 जून यानी आज मनाया जा रहा है.
क्या करें गंगा दशहरा के दिन?
किसी पवित्र नदी या गंगा नदी में स्नान करें, या घर पर शुद्ध जल से स्नान करें. इसके बाद मां गंगा का ध्यान करके उनकी पूजा करें. उनके मन्त्रों का जाप करें. पूजन में जो सामग्री प्रयोग करें. उनकी संख्या दस होनी चाहिए. विशेष रूप से दस दीपक का प्रयोग करें. इसके बाद अनाज का दान करें या दान का संकल्प लें. अगर आप कोरोना संकट की वजह से गंगा घाट पर नहीं जा पाए हैं तो घर में ही बाल्टी में पवित्र गंगा जल मिलाकर स्नान कर लीजिए और सच्ची श्रद्धा के साथ मां गंगा की उपासना कीजिए.
अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
सम्पूर्ण श्रृंगार करके माँ गंगा की आरती करें. इसके बाद मां को वस्त्र और श्रृंगार की वस्तुएँ अर्पित करें. मां से अखंड सौभाग्य की प्रार्थन करें. अर्पित की हुई वस्तुएँ किसी सौभाग्यवती स्त्री को दान कर दें.
आयु और स्वास्थ्य रक्षा के लिए
घर से गंगाजल लोटे में भरकर शिव लिंग के समक्ष बैठें. गंगाजल से शिव जी का अभिषेक करें. इसके बाद अमृत मृत्युंजय का जाप करें. अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्रार्थना करें.
माँ गंगा के मंत्र-
ॐ नमो भगवती हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा "नमो भगवत्यै दशपापहरायै गंगायै नारायण्यै रेवत्यै।
शिवायै अमृतायै विश्वरूपिण्यै नन्दिन्यै ते नमो नमः।।
गंगा दशहरा पर पूजा का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04 बजकर 03 मिन से 04 बजकर 44 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 42 मिनट से 03 बजकर 38 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 32 मिनट तक
अमृत काल- रात 12 बजकर 52 मिनट से 02 बजकर 21 मिनट तक
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