Guru Pradosh Vrat 2024: हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखा जाता है. भगवान शिव को समर्पित ये तिथियां मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मंगलकारी मानी जाती हैं. प्रदोष व्रत जब गुरुवार के दिन पड़ता है तो इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है. आज गुरु प्रदोष व्रत है. आइए जानते हैं कि गुरु प्रदोष के दिन भगवान शिव की उपासना कैसे की जाती है और उनकी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है.
गुरु प्रदोष व्रत की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 जुलाई 2024 की रात 8 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन अगले दिन 19 जुलाई 2024 की रात 07 बजकर 41 मिनट पर होगा.
गुरु प्रदोष में पूजा का मुहूर्त
गुरु प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त 18 जुलाई को रात 08 बजकर 44 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है.
गुरु प्रदोष व्रत की महिमा
प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की उपासना से जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. उनकी पूजा-अर्चना भी बेहद सरल है. गुरु प्रदोष व्रत रखने से मनचाही इच्छा पूरी होती है. संतान संबंधी किसी भी मनोकामना की पूर्ति इस दिन की जा सकती है. गुरु प्रदोष व्रत रखने से शत्रु और विरोधी शांत होते हैं. मुकदमों और विवादों में विजय मिलती है. लेकिन गुरु प्रदोष व्रत में शिव की आराधना के कुछ विशेष नियम हैं. ऐसा कहते हैं कि इस व्रत का पूरा फल तभी मिलता है जब आप इस व्रत के सारे नियमों का पालन करते हैं.
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि
गुरु प्रदोष व्रत में शिवजी को जल और बेल पत्र अर्पित करें. उन्हें सफेद वस्तु का भोग लगाएं. शिव मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें. रात के समय भी शिव जी के समक्ष घी का दीपक जलाकर शिव मंत्र जप करें. रात्रि के समय आठ दिशाओं में आठ दीपक जलाएं. इस दिन जलाहार और फलाहार ग्रहण करना उत्तम होगा. नमक और अनाज का सेवन न करें.
उपाय
गुरु प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान के जल में सात चुटकी हल्दी डालकर स्नान करें. अपने घर की उत्तर पूर्व दिशा में मिट्टी के बर्तन में जल भरकर रखें, समय-समय पर इसे बदलते रहें. पीले आसन पर बैठकर, पूर्व दिशा की तरफ मुंह कर, हल्दी की माला से बृहस्पति के मंत्रों का जाप करें. जरूरतमंद लोगों को पीला कपड़ा, पीली मिठाई, चने की दाल हल्दी गुड़ आदि का दान करें.