सूर्य और चन्द्रमा के एक साथ होने से अमावस्या की तिथि होती है. इसमें सूर्य और चन्द्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है. यह तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है. श्रावण माह की अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या भी कहते हैं. इसमें चन्द्रमा की शक्ति जल में प्रविष्ट हो जाती है. इस तिथि को राहु और केतु की उपासना विशेष फलदायी होती है. इस दिन दान और उपवास का विशेष महत्व होता है. इस दिन विशेष प्रयोगों से विशेष लाभ होते हैं. इस बार वैशाख की अमावस्या 08 अगस्त को है.
अमावस्या तिथि की सावधानियां और नियम क्या हैं?
इस दिन अन्न का सेवन न करें, या कम से कम करें. इस दिन पितरों के लिए दान जरूर करें. इस दिन पशुओं को हरा चारा खिलाएं. सम्भव हो तो घर के मुख्य द्वार पर प्रकाश की व्यवस्था करें.
अगर स्वास्थ्य की समस्या हो तो क्या उपाय करें?
खीर बनाकर शिवजी को अर्पित करें. कुछ अंश पितरों के नाम से भी निकालें. शिवजी को अर्पित की हुयी खीर निर्धनों में बांटें. पितरों की खीर किसी पशु को खिला दें. सफेद चन्दन की लकड़ी नीले धागे में बांधकर पहन लें.
अगर पारिवारिक समस्या हो तो क्या उपाय करें?
स्नान करके नारंगी वस्त्र धारण करें. भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा करें. उनके समक्ष "ॐ गौरीशंकराय नमः" का जप करें. सात्विक भोजन बनाकर दान करें.
हरियाली अमावस्या पूजा का समय
हरियाली अमावस्या पर पूजा का समय शनिवार, 7 अगसत 2021 को शाम 07 बजकर 11 मिनट से रविवार, 08 अगस्त 2021 को शाम 07 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.
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