Hartalika teej 2021 date: हरतालिका तीज (Hartalika Teej vrat) का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करती हैं. पूजा करने के दौरान कुछ विशेष नियमों को अपनाना चाहिए. ये व्रत अविवाहित कन्याएं भी रख सकती हैं. ज्योतिर्विद श्रीपति त्रिपाठी ने बताया किस तरह करें ये व्रत, क्या हैं सही नियम.
शुरू करने के बाद जीवन में कभी नहीं छोड़ सकते हैं ये व्रत (Hartalika Teej vrat rules)
ज्योतिर्विद श्रीपति त्रिपाठी ने कहा कि विधि विधान और इसके कठोर नियमों का पालन करना अनिवार्य है. हरतालिका व्रत रखना शुरू कर रहे हैं, तो ये ध्यान दें कि इस व्रत को जीवनपर्यंत रखना अनिवार्य है. केवल एक स्थिति ही में इस व्रत को छोड़ा जा सकता है, जब व्रत रखने वाले गंभीर रूप से बीमार पड़ जाएं, लेकिन यहां भी ये ध्यान देना होगा, कि ऐसी स्थिति में व्रत रखने वाली महिला के पति या किसी दूसरी महिला को ये व्रत रखना होगा.
इन बातों का व्रत रखने वाली महिलाएं रखें विशेष ध्यान
इस दिन महिलाओं को क्रोध नहीं रखना चाहिए. क्रोध करने से मन की पवित्रता का ह्रास हो जाता है. इसीलिए गुस्से को शांत करने के लिए महिलाएं अपने हाथों पर मेहंदी लगाती हैं. व्रत के दिन पूरी रात जागरण करके पूजा करनी चाहिए. हरतालिका तीज की कथा के अनुसार मान्यता है कि यदि व्रती रात को सो जाती हैं, तो अगले जन्म में अजगर के रूप में जन्म होता है. इस दिन व्रती गलती से खा लें या पीलें तो अगले जन्म में वानर के रूप में जन्म लेती हैं और यदि गलती से पानी पी लें, तो अगले जन्म मछली के रूप में जन्म मिलता है. इसी तरह इस व्रत को रखने वाली महिलाएं यदि व्रत के दौरान दूध पी लेती हैं, तो उन्हें अगले जन्म में सर्प योनि में जन्म मिलता है.
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त (Hartalika teej shubh muhurat)
प्रातःकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 3 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक
प्रदोषकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 33 से रात 8 बजकर 51 मिनट तक
तृतीया तिथि प्रारंभ- 9 सितंबर 2021, रात 2 बजकर 33 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021 रात 12 बजकर 18 तक
पूजन विधि (Hartalika teej pujan vidhi)
हरतालिका तीज की पूजा शुभ मुहूर्त में करें. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू, रेत या काली मिट्टी की प्रतिमा बनाएं. पूजा के स्थान को फूलों से सजाएं और एक चौकी रखें. इस पर केले के पत्ते बिछाएं और भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार विधि से पूजन करें.
तीज की सुनें कथा (Hartalika teej katha)
इसके बाद माता पार्वती को सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाएं और भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएं. बाद में ये सभी चीजें किसी ब्राह्मण को दान दें. पूजा के बाद तीज की कथा सुनें और रात्रि जागरण करें. अगले दिन सुबह आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें.