फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन मनाया जाता है. इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार होलिका दहन 28 और होली 29 मार्च, सोमवार के दिन (Holi 2021) मनाई जाएगी. होली से 8 दिन पहले यानी 22 मार्च से होलाष्टक लग जाएगा. होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन तिथि- 28 मार्च (रविवार)
होलिका दहन शुभ मुहूर्त- शाम 6 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 56 मिनट तक
कैसे किया जाता है होलिका दहन?
होलिका दहन वाली जगह पर कुछ दिनों पहले एक सूखा पेड़ रख दिया जाता है. होलिका दहन के दिन उस पर लकड़ियां, घास, पुआल और गोबर के उपले रख उसमें आग लगाते हैं. होलिका दहन के शुभ मुहूर्त में परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित करानी चाहिए. होलिका दहन को कई जगह छोटी होली भी कहते हैं. इसके अगले दिन एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली का त्योहार मनाया जाता है.
होली से जुड़ी पौराणिक कथा
होली से जुड़ी अनेक कथाएं इतिहास-पुराण में पाई जाती हैं. इसमें हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद की कथा सबसे खास है. कथा के अनुसार असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था, लेकिन यह बात हिरण्यकश्यप को बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी. बालक प्रह्लाद को भगवान की भक्ति से विमुख करने का कार्य उसने अपनी बहन होलिका को सौंपा, जिसके पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती. भक्तराज प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति के प्रताप और भगवान की कृपा के फलस्वरूप खुद होलिका ही आग में जल गई. अग्नि में प्रह्लाद के शरीर को कोई नुकसान नहीं हुआ.
विभिन्न क्षेत्रों में कैसे मनाई जाती है होली?
ब्रज की होली पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. यहां होली का पर्व पूरे महीने चलता है. बरसाना की लट्ठमार होली बहुत मशहूर है. मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में होली के पांचवें दिन रंगपंचमी खेली जाती है. महाराष्ट्र में लोग रंग पंचमी के दिन एक-दूसरे को सूखे गुलाल लगाते हैं.