दीपावली की तरह चैत्र मास की द्वितीया तिथि को भी देश के कुछ हिस्सों में भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. ये पर्व होली के ठीक अगले दिन मनाने की परंपरा है. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं. उसका स्वागत सत्कार करती हैं और उनके लम्बी आयु की कामना करती हैं. माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती. इस बार होली भाई दूज का त्योहार 30 मार्च को मनाया जा रहा है.
कैसे मनाएं भाई दूज का त्योहार?
आज के दिन भाई प्रातः काल चन्द्रमा का दर्शन करें. इसके बाद यमुना के जल से स्नान करें या ताजे जल से स्नान करें. अपनी बहन के घर जाएं और वहां बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें. बहनें भाई को भोजन कराएं, उनका तिलक करके आरती करें. भाई यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार दें.
कैसे करें भाई का तिलक?
शुद्ध केसर की कम से कम 27 पत्तियां लें और उसमें शुद्ध लाल चंदन और गंगाजल मिलाएं. साफ चांदी की कटोरी या पीतल की कटोरी में यह तिलक तैयार करें. अपने भाई को तिलक करने से पहले यह कटोरी भगवान विष्णु के श्री चरणों में रखें. ॐ नमो नारायणाय मंत्र का 27 बार जाप करें. अब यह तिलक सबसे पहले भगवान गणपति और विष्णु जी को करें. इसके बाद यह तिलक अपने भाई को उत्तर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके तिलक करें. अब बहन अपने भाई को मिष्ठान खिलाए तथा भाई भी अपनी बहन का मुंह मीठा करें. ऐसा करने से भाई-बहन का स्नेह हमेशा के लिए बना रहेगा.
होली भाई दूज का शुभ मुहूर्त
द्वितीया तिथि 29 मार्च को रात 08 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होकर 30 मार्च को शाम 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगी.
होली भाई दूज पर अमृत काल 30 मार्च को सुबह 06 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक द्विपुष्कर योग लगेगा. इन दोनों ही मुहूर्त में होली भाई दूज मना सकते हैं.
किस वक्त न मनाएं भाई दूज
30 मार्च को दोपहर करीब 3 बजे से शाम साढ़े चार बजे तक राहुकाल लगने वाला है. इस समयावधि में होली भाई दूज पर भाई को तिलक न करें.