उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले में एक गांव में महिलाओं की अनोखी होली खेलने की प्राचीन परंपरा है. सदियों से चली आ रही महिलाओं की इस होली की परंपरा का आज भी निर्वहन किया जा रहा है. होली के दिन पुरुषों को गांव से बाहर निकालकर महिलाएं होली पर ठुमके लगाती हैं. यह परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है, जिसे गांव के किसी भी पुरुष को देखने की मनाही होती है. पूरे गांव की महिलाएं रामजानकी मंदिर से फाग निकालकर होली के आयोजन का आगाज करती हैं. इस परंपरा को लेकर महिलाओं ने जोरदार तैयारी शुरू कर दी है.
हमीरपुर जिले में सुमेरपुर थाने का बड़ी आबादी वाला "कुंडौरा" गांव ऐसा अनोखा गांव है, जहां महिलाओं की टोली "फाग" निकालकर पूरे गांव में धमाल करती हैं. इस गांव से जुड़े दरियापुर से भी महिलाएं होली की फाग की परंपरा का हिस्सा बनती हैं. गांव के 70 साल उम्र के बुजुर्ग भगवती प्रसाद ने बताया कि जब गांव में महिलाओं की फाग निकलती है, तब कोई भी पुरुष उन्हें देख नहीं सकता है. पुरुषों को या तो घरों में कैद रहना पड़ता है या फिर खेतों की ओर जाने का फरमान सुनाया जाता है.
महिलाओं की होली की इस परंपरा का आगाज होली पर्व के दूसरे दिन होगा. उन्होंने बताया कि महिलाओं की होली की परंपरा तीन सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है. गांव के पुरुष भी इस प्रथा को मानते हैं. गांव की बुजुर्ग देवरती कुशवाहा ने बताया कि यही एक ऐसी परंपरा का आयोजन है, जिसमें महिलाओं को सामूहिक रूप से होली खेलने की एक दिन का आजादी मिलती है. सैकड़ों साल पुरानी ये परंपरा बदलते दौर में आज भी कायम है.
गांव के बीएल कुशवाहा ने बताया कि आपसी मतभेद के बावजूद भी यह गांव महिलाओं की अनोखी होली के लिए मिसाल बना हुआ है. महिलाओं के फरमान पर सभी गांव के बड़े और जवान महिलाओं की फाग होली कार्यक्रम से पहले ही या तो घरों में कैद हो जाते हैं या फिर खेत और खलिहान की तरफ निकल जाते हैं.
पुरुष तभी गांव से वापस आते हैं, जब महिलाओं की फाग होली का समापन हो जाता है. इस अनोखी होली में महिलाएं ही ढोल और मजीरा बजाती हैं. अगर कोई पुरुष चोरी छिपे, महिलाओं को फाग निकालते देखता है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस बार परंपरा को आगे बढ़ाते हुए महिलाएं कोरोना गाइडलाइन का पालन भी करेंगी.
घूंघट वाली महिलाएं भी लगाती हैं ठुमके
कुंडौरा गांव में श्यामा, शिवदेवी, बृजरानी व 65 वर्षीय गिरजा देवी समेत तमाम महिलाओं ने बताया कि जब से वह बाबुल का घर छोड़ पिया के घर आई हैं, तभी से इस अनोखी होली की परंपरा का हिस्सा बनी हैं. गांव में अस्सी साल की उम्र तक की भी महिलाएं अनोखी होली में धमाल करती हैं. हर साल धूमधाम के साथ होली की फाग निकाली जाती है, जिसमें बुजुर्ग और नवयुवतियां भी हिस्सा लेती हैं. कार्यक्रम में कई गांवों की महिलायें आती हैं. पिछली बार महिलाओं की होली पर कोरोना का ग्रहण लग गया था.
रामजानकी मंदिर से होली की फाग का होता है शुभारंभ
बुजुर्ग देवरती कुशवाहा का कहना है कि होली पर्व पर फाग का आगाज रामजानकी मंदिर से होता है. फाग गाने के बाद रंग और गुलाल उड़ाते हुए महिलाएं पूरे गांव में घूमती हैं. बाद में खेरापति बाबा के मंदिर में फाग का समापन होता है. महिलाओं के इस आयोजन में कुंडौरा से जुड़े दरियापुर ग्राम की महिलायें भी शरीक होती हैं.
महिलाओं की अनूठी होली की धूम शाम तक मचती है. आयोजन में महिलाएं एक दूसरे को रंग अबीर लगाकर ठुमके भी लगाती हैं. घूंघट वाली महिलाएं भी इस अनोखे आयोजन का हिस्सा बनती हैं. इस गांव से जुड़े दरियापुर से भी महिलाएं होली की फाग की परंपरा का हिस्सा बनती हैं.