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इस विध‍ि से चित्रगुप्त पूजा करने से होंगे सभी कष्ट दूर

1 नवंबर को भाई दूज के साथ इस बार चित्रगुप्त पूजा भी मनाई जा रही है. जानिए चित्रगुप्त पूजन की विधि.

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चित्रगुप्त पूजन विधि
चित्रगुप्त पूजन विधि

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चित्रगुप्त हिंदुओं के प्रमुख देवता माने जाते हैं. पुराणों के मुताबिक, वो अपने दरबार में मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा कर न्याय करते थे.

1 नवंबर को भाई दूज के साथ चित्रगुप्त भगवान की भी पूजा की जाएगी. व्यापारियों के लिए यह नए साल की शुरुआत मानी जाती है. इस दिन नए बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है. इस दिन अगर चचेरी, ममेरी, फुफेरी या कोई भी बहन अपने हाथ से भाई को खाना खिलाए तो उसकी उम्र बढ़ जाती है. साथ ही जिंदगी के कष्ट भी दूर होते हैं.

भैयादूज के दिन कायस्थ समाज चित्रगुप्त की पूजा करते हैं. चित्रगुप्त पूजा सुबह 6:35 से 7:30 बजे तक और लेखनी की पूजा सुबह 11:45 से दोपहर 1:30 बजे तक की जा सकती है.

चित्रगुप्त की पूजा करने की विधि भी बहुत आसान है...

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- पूजा स्थान को साफ कर के एक कपड़ा बिछा कर वहां चित्रगुप्त जी की फोटो रखें.
- दीपक जला कर गणेश जी को चन्दन, रोली, हल्दी, अक्षत लगा कर पूजा करें.
- चित्रगुप्त जी को भी चन्दन, रोली, हल्दी, अक्षत लगा कर पूजा करें.
- इसके बाद फल, मिठाई, पान सुपारी और दूध, घी, अदरक, गुड़ और गंगाजल से बने पंचामृत का भोग लगाएं.
- अब परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम की पूजा कर चित्रगुप्त जी के सामने रख दें.
- इसके बाद एक सफेद कागज पर स्वस्तिक बना कर उस पर अपनी आय और व्यय का विवरण देकर उसे चित्रगुप्त जी को अर्पित कर पूजन करें.

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