अश्विन मास (Ashwin maas) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका (Jivitputrika Vrat) मनाया जाता है. इसे जिउतिया या जितिया व्रत भी कहा जाता है. पुत्र की दीर्घ, आरोग्य और सुखमयी जीवन के लिए इस दिन माताएं व्रत रखती हैं. तीज की तरह यह व्रत भी बिना आहार और निर्जला रखना पड़ता है. जितिया व्रत (Jitiya Vrat) इस साल गुरुवार, 10 सितंबर को रखा जाएगा. आइए जानते हैं इस व्रत की पूजन विधि और शुभ मुहूर्त.
छठ पर्व की तरह जितिया व्रत पर भी नहाय-खाय की परंपरा होती है. यह पर्व तीन दिन तक मनाया जाता है. सप्तमी तिथि को नहाय-खाय के बाद अष्टमी तिथि को महिलाएं बच्चों की समृद्धि और उन्नत के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इसके बाद नवमी तिथि यानी अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है यानी व्रत खोला जाता है.
जितिया व्रत का इतिहास
महाभारत के युद्ध में पिता की मौत के बाद अश्वत्थामा बहुत नाराज था. सीने में बदले की भावना लिए वह पांडवों के शिविर में घुस गया. शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे. अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला. कहा जाता है कि सभी द्रौपदी की पांच संतानें थीं. अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि छीन ली. क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे बच्चे को मार डाला.
ऐसे में भगवान कृष्ण (Jai shree krishna) ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देकर उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को पुन: जीवित कर दिया. भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया. तभी से संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए हर साल जितिया व्रत रखने की परंपरा को निभाया जाता है.
व्रत का शुभ मुहूर्त
जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त 10 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 5 मिनट से अगले दिन 11 सितंबर को 4 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. इसके बाद व्रत पारण का शुभ समय 11 सितंबर को दोपहर 12 बजे तक रहेगा.