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कालभैरव करेंगे समस्त मनोकामनाओं को पूरा

कालभैरव अष्टमी वह दिन होता है जिस दिन आप साक्षात काल को खुश कर सकते हैं, उनसे मुरादें मांग सकते हैं. यह दिन काल की पूजा का दिन होता है, इस अष्टमी को भैरव अष्टमी भी कहा जाता है. शुक्रवार 14 नवंबर को कालभैरव अष्टमी है. अष्टमी के दिन पुण्य तिथि में विधि-विधान से की गई पूजा कालभैरव का वरदान ही नहीं दिलाती, बल्कि आपकी समस्त मनोकामनाओं को भी पूरा कर सकती है.

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शिव के अवतार हैं भैरव
शिव के अवतार हैं भैरव

कालभैरव अष्टमी वह दिन होता है जिस दिन आप साक्षात काल को खुश कर सकते हैं, उनसे मुरादें मांग सकते हैं. यह दिन काल की पूजा का दिन होता है, इस अष्टमी को भैरव अष्टमी भी कहा जाता है. शुक्रवार 14 नवंबर को कालभैरव अष्टमी है. अष्टमी के दिन पुण्य तिथि में विधि-विधान से की गई पूजा कालभैरव का वरदान ही नहीं दिलाती, बल्कि आपकी समस्त मनोकामनाओं को भी पूरा कर सकती है.

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भैरव का अर्थ ही होता है भय का हरण कर जगत का भरण करने वाला. ऐसा भी कहा जाता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है. भैरव शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं. हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है और भैरव अष्टमी के दिन पूजा उपासना से सभी शत्रुओं और पापी शक्तियों का नाश होता है. सभी प्रकार के पाप, ताप और कष्ट दूर हो जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत, षोड्षोपचार पूजन करने से पुण्य फलों का प्राप्ति होती है.

काल भैरव, शिव के अवतार हैं. औघड़दानी की तरह ही दानी और विशाल हृदय वाले हैं भैरो बाबा. कालभैरव अष्टमी पर बाबा हर प्रकार से भक्तों का कल्याण करते हैं. इस बार तो कालभैरव अष्टमी और ज्यादा विशेष हो गई है, क्योंकि इस दिन कुछ विशेष योग बने हुए हैं. जहां एक तरफ तुला राशि में बुध मौजूद है जो शुक्र की राशि है, जिसके कारण भद्र योग का निर्माण हो रहा है जो कि बेहद शुभ माना जाता है.

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पंडितों की मानें तो इस योग को ग्रह पीड़ा निवारण के लिए बेहद उत्तम माना जाता है. ऐसे में 2 नवंबर को शनि के राशि परिवर्तन के कारण जिन जातकों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, कंटक दशा, महादशा का साया पड़ने लगा है या फिर परेशानियों ने घेरना शुरू कर दिया उन जातकों के लिए कालभैरव अष्टमी के दिन की गई बाबा भैरव की पूजा जरूर राहत दिलाएगी. वहीं दूसरी ओर जिन जातकों पर राहु की दशा है या गोचर में राहु की पीड़ा ने परेशान कर रखा है उन्हें भी कालाष्टमी पर भैरव की पूजा समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार साबित होगी.

कर्मकांड के जानकारों का कहना है अगर इस दिन शाम को आप विशेष विधि विधान से काल भैरव की पूजा करते हैं और अपनी मनोकामना के मुताबिक मिट्टी का दीया जला देते हैं तो बाबा भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं. जिसकी जैसी इच्छा कालभैरव उसे वैसा ही वरदान दे देंगे और भक्तों की जिंदगी अमृत समान बना देंगे.

बाबा कालभैरव की आराधना की ये शुभ घड़ी बेहद पास आ गई है. तैयारी कर लीजिए.

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