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नवरात्रि पूजन और कलश स्‍थापना का मुहूर्त

नवरात्रि के शुरुआत में प्रतिपदा तिथि को कलश या घट की स्थापना की जाती है. हिंदू धर्म में हर पूजा से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है इसलिए नवरात्रि की शुभ पूजा से पहले कलश के रूप में गणेश को स्थापित किया जाता है.

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नवरात्री में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है
नवरात्री में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है

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मां दुर्गा की आराधना का पर्व नवरात्रि 8 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है. साल में आने वाली चार नवरात्रि में चैत्र मास की नवरात्रि का भी बहुत महत्‍व होता है. इस दौरान नौ दिनों तक पूजा-पाठ और हवन चलता रहता है. इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.

नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त :

नवरात्रि के प्रथम दिन यानि 08 अप्रैल 2016 को कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:57 मिनट से लेकर 12:48 मिनट तक का है.

कलश स्थापना की जरूरी चीजें
- मिट्टी का पात्र और जौ
- शुद्ध, साफ मिट्टी
- शुद्ध जल से भरा हुआ सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश
- मोली (कलवा)
- साबुत सुपारी
- कलश में रखने के लिए सिक्के
- अशोक या आम के 5 पत्ते
- कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन
- साबुत चावल
- एक पानी वाला नारियल
- लाल कपड़ा या चुनरी
- फूल और माला

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नवरात्रि कलश स्थापना की विधि :
सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध कर लेना चाहिए. एक लकड़ी की चौकी रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. कपड़े पर थोड़े-थोड़े चावल रखें. चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करना चाहिए. एक मिट्टी के पात्र (छोटा समतल गमला) में जौ बोना चाहिए. इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करना चाहिए. कलश पर रोली से स्वस्तिक या 'ऊँ' बनाएं.
कलश के मुख पर कलवा बांधकर इसमें सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखने चाहिए. कलश के मुख को चावल से भरी कटोरी से ढक दें. अब एक नारियल पर चुनरी लपेटकर इसे कलवे से बांधें और चावल की कटोरी पर रख दें. सभी देवताओं का आवाहन करें और धूप दीप जलाकर कलश की पूजा करें. बाद में भोग लगाकर मां की आरती और चालीसा का पाठ करें.

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