सुहागिनें हर साल अपने पति की लंबी उम्र की कामना में करवाचौथ का व्रत रखती हैं. करवा चौथ का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है.
चन्द्र को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ पूजन में चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर 06 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. करवा चौथ के दिन चन्द्र को अर्घ्य देने का समय रात्रि 08.50 बजे है.
चंद्र पूजन के साथ इन देवी-देवताओं की पूजा है जरूरी
चंद्रमा पूजन के साथ ही करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय और गणेश की आराधना भी की जाती है. चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा होती है. पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास को दी जाती है.
करवा चौथ पूजन विधि
- नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए. करवा चौथ की पूजा करने के लिए भगवान शिव- देवी पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, चंद्रमा और गणेशजी को स्थापित कर उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए.
- व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ का व्रत शुरू करें.
'मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'
- शाम को मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें लकड़ी के आसार पर बिठाए. मां पार्वती को सुहाग सामग्री चढ़ाएं.
- भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें और करवे में पानी भरकर पूजा करें.
- इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखती है और पूजन के बाद कथा पाठ सुनती या पढ़ती हैं. इसके बाद चंद्र दर्शन करने के बाद ही पानी पीकर व्रत खोलती हैं.