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Karwa Chauth 2021 Vrat Katha: करवा चौथ व्रत की कथा यहां पढ़ें, पूजन विधि और चांद निकलने का समय भी जानें

Karwa Chauth 2021 Vrat Katha: करवा चौथ की व्रत के दौरान कथा सुनने का बड़ा महत्व है. कथा सुने बिना ये व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है. महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत करने के बाद शाम को चंद्रमा देखकर व्रत का पारण करती हैं. उससे पहले व्रत कथा सुनना बेहद जरूरी माना जाता है. वहीं पूजा के दौरान शुभ मुहूर्त का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है.

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 करवा चौथ व्रत की कथा
करवा चौथ व्रत की कथा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • व्रत के दौरान कथा सुनने का बड़ा महत्व
  • सूर्योदय से पहले शुरू होता है करवा चौथ का व्रत

Karwa Chauth 2021 Vrat Katha: करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जो शाम को चांद देखने के बाद पूरा होता है. करवा चौथ का व्रत अपने नियमों को लेकर बेहद कठिन माना जाता है. इस व्रत को लेकर तमाम नियम हैं, जिन पर ध्यान देना जरूर है. ऐसा ही अहम नियम है कि इस दिन हर व्रती महिला को करवा चौथ की कथा जरूर सुननी चाहिए. आइये आपको बताते हैं कि करवा चौथ की कथा और पूजा विधि...

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करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth 2021 Vrat Katha)
प्राचीन कथा के अुनसार एक गांव में करवा देवी अपने पति के साथ रहती थीं. एक दिन उनके पित नदी में स्नान करने के लिए गए. स्नान करने के दौरान मगरमच्छ ने करवा के पति का पैर पकड़ लिया और खींचकर नदी में अंदर की ओर ले जाने लगा. इस दौरान पति ने अपनी रक्षा के लिए पत्नी को पुकारा. पति की आवाज सुनकर करवा नदी के किनारे पहुंच गईं और मगरमच्छ को एक कच्चे धागे से पेड़ से बांध दिया. करवा के सतीत्व की वजह से मगरमच्छ हिल तक नहीं पाया. इसके बाद करवा ने यमराज को पुकारा और अपने पति का जीवन दान मांगा और मगरमच्छ को मृत्युदंड देने के लिए कहा. यमराज ने कहा कि मगरमच्छ की आयु अभी पूरी नहीं हुई है, लेकिन तुम्हारे पति की आयु पूरी हो गई है. यमराज की ये बात सुनकर करवा क्रोधित हो गईं और उन्होंने कहा कि यदि उनके पति के प्राणों को कुछ हुआ, तो वे शाप दे देंगी. सती के शाप से डरकर यमराज ने मगरमच्छ को यमलोक भेज दिया और करवा के पति को जीवन दान दे दिया. साथ ही करवा को सुख-समृद्धि का वर दिया और कहा 'जो स्त्री इस दिन व्रत करके करवा को याद करेगी, उनके सौभाग्य की मैं रक्षा करूंगा. कहा जाता है कि इस घटना के दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी. तभी से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है.

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दूसरी पौराणिक व्रत कथा
वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रप्रस्थपुर के एक शहर में एक ब्राह्मण रहता था. उसके 7 पुत्र और वीरावती नाम की एक पुत्री थी. इकलौती बेटी होने के कारण वो सभी की लाडली थी. जब वीरावती शादी के लायक हो गई, तो उसके पिता ने उसकी शादी एक ब्राह्मण युवक से कर दी. शादी के बाद वीरावती अपने मायके आयी हुई थी, तभी करवा चौथ का व्रत पड़ा. वीरावती अपने माता-पिता और भाइयों के घर पर ही थी. उसने पहली बार पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा, लेकिन वो भूख प्यास बर्दाश्त नहीं कर पाई और मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़ी. बहन का मूर्छित देख उसके भाइयों ने छलनी में एक दीपक रखकर उसे पेड़ की आड़ से दिखाया और बेहोश हुई वीरावती जब जागी तो उसे बताया कि चंद्रोदय हो गया है. छत पर जाकर चांद के दर्शन कर ले. वीरावती ने चंद्र दर्शन कर पूजा पाठ किया और भोजन करने के लिए बैठ गई.  पहले कौर में बाल आया, दूसरे में छींक आई और तीसरे कौर में उसकी सुसराल से बुलावा आ गया. जब वीरवती ससुराल पहुंची, तो वहां देखा कि उसके पति की मौत हो गई है. यह देख वह व्याकुल होकर रोने लगी. उसकी हालत देखकर इंद्र देवता की पत्नी देवी इंद्राणी उसे सांत्वना देने पहुंची और उसे उसकी भूल का अहसास दिलाया. साथ ही करवा चौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल आने वाली चौथ के व्रत करने की सलाह दी. वीरावती ने ऐसा ही किया और व्रत के पुण्य से उसके पति को पुन: जीवनदान मिल गया.

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शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth shubh muhurat 2021)
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र में चांद निकलेगा और पूजन होगा. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस साल 24 अक्टूबर 2021, रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी. इस दिन चांद निकलने का समय 8 बजकर 11 मिनट पर है. पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा.

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि (Karwa Chauth 2021 puja vidhi)
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें. इसके बाद सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें, पानी पीएं और गणेश जी की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शाम तक न तो कुछ खाना और नाहीं पीना है. पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवा रखें. एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं. पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरु कर दें. इसके बाद चांद के दर्शन कर व्रत खोलें. 

 

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