हिंदू धर्म में व्रत करने के तमाम फायदे बताए गए हैं. हर व्रत का अपना महत्व और अपनी मान्यताएं है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भले ही आप निर्जला रखें या फलाहार, इन सभी में ज्यादा असरकारक और महत्वपूर्ण व्रत होता है उत्पन्ना एकादशी का व्रत.
उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस व्रत में फल खाना शामिल किया गया है, जो इस मौसम के लिहाज से भी अच्छा होता है.
क्यों रखना चाहिए यह व्रतकैसे रखा जाता है उत्पन्ना एकादशी व्रत
ये व्रत दो तरह से रखा जाता है, निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत. निर्जल व्रत को स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. अन्य लोग इसे फलाहारी या जलीय रख सकते हैं. इस व्रत में दशमी को रात में भोजन नहीं करना चाहिए.
एकादशी को सुबह श्री कृष्ण की पूजा की जाती है . इस व्रत में सिर्फ फलों का ही भोग लगाया जाता है. इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाता है.
क्या नहीं करना है इस दिन
- तामसिक आहार पूरे दिन नहीं करना है
- किसी से भी बुरा व्यवहार नहीं करना है
- पूरे दिन बुरे विचारों से भी दूर रहें
- प्रभु विष्णु को अर्घ्य दिए बिना दिन की शुरुआत न करें
- केवल हल्दी मिले हुए जल से ही अर्घ्य दें
- अर्घ्य के लिए रोली या दूध का इस्तेमाल न करें
- सेहत ठीक न हो तो उपवास न रखें
- सेहत ठीक न होने पर केवल बाकी नियमों का पालन करें
इच्छा पूर्ति के लिए क्या करें
- भगवान कृष्ण को फल चढ़ाएं
- श्री कृष्ण को तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें
- इसके बाद 'क्लीं कृष्ण क्लीं' का जाप करें
- भगवान से कामना पूर्ति की प्रार्थना करें
संतान की कमाना भी इस व्रत के माध्यम से पूरी की जा सकती हैं
संतान की प्राप्ति के लिए क्या करें इस व्रत में
- सुबह पति-पत्नी मिलकर श्री कृष्ण की उपासना करें
- श्री कृष्ण को पीले फल व फूल चढ़ाएं
- श्री कृष्ण को तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें
- इसके बाद संतान गोपाल मन्त्र का जाप करें, जो है -
'ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणम गता'
- पति पत्नी एक साथ फल और पंचामृत ग्रहण करें