मां शारदे भक्तों को ज्ञान और बुद्धि देती हैं. इनके प्रभाव से अज्ञानी भी थोड़े ही प्रयास से विद्वान बन जाता है. माता की एक ऐसी स्तुति है, जो सबसे ज्यादा प्रचलित है.
मां सरस्वती की यह स्तुति भक्तों का कल्याण करने वाली है. इसके पाठ से निर्मल बुद्धि की प्राप्ति होती है. वैसे तो पूरी स्तुति काफी लंबी है, पर इसके शुरुआती श्लोक का पाठ खूब प्रचलित है. श्लोक इस प्रकार है:
'या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥'
इसका अर्थ है: जो कुंद के फूल, चंद्रमा और बर्फ के हार के समान श्वेत हैं, जो श्वेत वस्त्र पहनती हैं, जो हाथों में वीणा धारण किए हैं और श्वेत कमलों के आसन पर विराजमान हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश आदि देवता जिनकी सदा स्तुति करते हैं, जो हर प्रकार की जड़ता हर लेती हैं, वह सरस्वती हम सबों का उद्धार करें.