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प्रयाग नगरी में माघ मेले की शुरुआत, जानिये क्या है महत्व

प्रयागनगरी इलाहाबाद में माघ मेला लगा है और आज से संगम तट पर पौष पूर्णिमा का स्नान शुरू हो गया है. कड़ाके की ठंड होने के बावजूद श्रद्धालु स्नान करने के लिए संगम पर पहुंच गए हैं. आप भी जानिये क्यों है माघ मेले, कल्पवास और पौष पूर्ण‍िमा के स्नान का महत्व...

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माघ मेला
माघ मेला

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उत्तर प्रदेश के प्रयागनगरी इलाहाबाद में आज से पौष पूर्ण‍िमा स्नान के साथ ही माघ मेले की विधिवत शुरुआत हो गई है. कल्पवासी पूरे एक महीने तक मेले में कल्पवास करेंगे. ऐसी मान्यता है कि कल्पवास करने वाले व्यक्त‍ि को जीते जी मोक्ष की प्राप्त‍ि होती है. ऐसे व्यक्ति को फिर किसी तीर्थ जाने की जरूरत नहीं होती.

मनोकामना पूर्ण करने वाली आई पूर्ण‍िमा
ज्योतिर्विदों की मानें तो बुधवार शाम 7.20 बजे से गुरुवार शाम 5.26 बजे तक पूर्णिमा तिथि रहेगी. उदयातिथि के चलते गुरुवार को दिनभर इसका महत्व रहेगा. अमृत सिद्धयोग, गुरु पूर्णा सिद्धि योग साधकों की मनोकामना पूर्ण करेगी. स्नान, ध्यान व दान का पुण्य मुहूर्त सुबह 5.36 से सुबह 6.47 बजे तक है. इसमें पैसे के अलावा अन्न, काला तिल, ऊन, वस्त्र व बर्तन का दान पुण्यकारी रहेगा. पौष पूर्णिमा को श्रद्धालु कल्पवास का आरंभ करेंगे.

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जानें क्या है मान्यता
यह है मान्यता है कि माघ के महीने में प्रयाग में न सिर्फ लोग कल्पवास करते हैं, बल्कि 33 करोड़ देवी-देवता भी वहीं रहते हैं. कल्पवास करने वाले साधकों को वो किसी न किसी रूप में दर्शन देते हैं. इसलिए भक्त अपना घर और मोह-माया छोड़कर यहां धार्मिक कार्यों में लीन रहते हैं.

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कल्पवास में एक समय करते हैं भोजन
कल्पवास किसी तपस्या से कम नहीं है. इसमें सिर्फ एक समय ही भोजन किया जाता है और स्नान तीन बार. कल्पवास में रहने के दौरान दान भी करना होता है. अन्न, काला तिल, ऊन, वस्त्र व बर्तन आदि का लोग दान करते हैं. हालांकि जानकार बताते हैं कि कल्पवास भी दो तरह से किया जाता है. पहला चंद्रमास और दूसरा शौर्य मास का कल्पवास. पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक चंद्रमास का कल्पवास रहता है. मकर संक्रांति से कुंभ संक्रांति तक शौर्य मास.

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कब-कब होंगे स्नान
पौष पूर्णिमा 12 जनवरी
मकर संक्रांति 14 जनवरी
मौनी अमावस्या 27 जनवरी
बसंत पंचमी 01 फरवरी
माघी पूर्णिमा 10 फरवरी
महाशिवरात्रि 24 फरवरी


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