Durga Mahalaya 2021: आश्विन माह की अमावस्या पितरों की विदाई का अंतिम दिन है, तो वहीं आज के दिन ही महालया भी मनाया जाता है. इसके अगले दिन यानी प्रतिपदा पर शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. शारदीय नवरात्रि कल यानि 07 अक्टूबर से प्रारंभ होने जा रही हैं. शारदीय नवरात्रि की दुर्गा पूजा में महालया का विशेष महत्व है. ये उत्सव कर्नाटक, ओडिशा, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में बड़े स्तर पर मनाया जाता है.
ये है महत्व महालया के दिन से ही दुर्गा पूजा प्रारंभ होती है. महालया के साथ श्राद्ध खत्म हो जाते हैं. मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर आती हैं और अगले 10 दिनों तक वे यहां पर रहती हैं. दुर्गा पूजा महालय के सातवें दिन शुरू होती है और दशहरे के दसवें दिन समाप्त होती है. आज के दिन सुबह जल्दी उठकर देवी दुर्गा की पूजा चंडीपथ और अन्य भक्ति मंत्रों का पाठ करने का विधान है. मान्यता है पूजन से दुर्गे मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की हर परेशानी का अंत करती हैं. महालया के बाद ही मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जाता है.
ये है कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महिषासुर नाम का एक अत्यंत शक्तिशाली असुर था. महिषासुर इच्छानुसार रूप बदल सकता था, साथ ही वह सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी का भक्त था. ब्रह्मदेव ने उसे वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उस पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता. ब्रह्मा जी से वरदान पाकर महिषासुर ने स्वर्ग लोक में देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया. इसके अलावा पृथ्वी पर भी उत्पात मचाने लगा. स्वर्ग पर आक्रमण महिषासुर ने इंद्र को परास्त कर दिया और स्वर्ग पर कब्ज़ा कर लिया. सभी देवगण परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास सहायता के लिए पहुंचे.
देवताओं ने किया युद्ध
सभी देवताओं ने फिर से मिलकर उसे फिर से परास्त करने के लिए युद्ध किया परंतु वे फिर हार गये. कोई उपाय न मिलने पर देवताओं ने उसके विनाश के लिए दुर्गा का सृजन किया जिसे शक्ति और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है. देवी दुर्गा ने महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया. इसी उपलक्ष्य में हिंदू भक्तगण दस दिनों का त्यौहार दुर्गा पूजा मनाते हैं और दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है. जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. इस साल नवरात्रि आठ दिन के हैं. विजयादशमी 15 अक्टूबर को मनाई जाएगी.