मकर संक्राति (Makar Sankranti 2021) एक ऐसा त्योहार है जिस दिन किए गए काम अनंत गुणा फल देते हैं. मकर संक्रांति को दान, पुण्य और देवताओं का दिन कहा जाता है. मकर संक्रांति को 'खिचड़ी' भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं.
मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है. मकर संक्रांति से सर्दियां खत्म होने लगती हैं और वसंत ऋतु की शुरुआत होती है. इस साल मकर संक्रांति पर विशेष योग बन रहा है क्योंकि सूर्य के साथ पांच अन्य ग्रह (सूर्य, शनि, बृहस्पति, बुध और चंद्रमा) मकर राशि में विराजमान रहेंगे.
मकर संक्रांति की तिथि और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Shubh Muhurat for Snan-daan)
मकर संक्रांति गुरुवार को प्रात: 8 बजकर 30 मिनट बजे से आरंभ होगी. ज्योतिष के अनुसार, यह बहुत ही शुभ समय माना जाता है. समस्त शुभ कार्यों की शुरुआत इस संक्रांति के पश्चात ही होती है. आचार्य कमलनंद लाल के मुताबिक, इसका पुण्य काल मुहूर्त सुबह 8.30 से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. वहीं, महापुण्य काल का मुहूर्त सुबह 8.30 से 10.15 तक का होगा. स्नान और दान-दक्षिणा जैसे कार्य इस अवधि में किए जा सकते हैं.
तिथि: 14 जनवरी, 2021 (गुरुवार)
पुण्य काल मुहूर्त: सुबह 8:30 से शाम 5.46 तक
महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 8:30 से 10.15 तक
मकर संक्रांति पर क्या करें?
इस दिन प्रातःकाल स्नान कर लोटे में लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें. सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. श्रीमद्भागवद के एक अध्याय का पाठ करें या गीता का पाठ करें. नए अन्न, कम्बल, तिल और घी का दान करें. भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनाएं. भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें. संध्या काल में अन्न का सेवन न करें. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान करने से शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
मकर संक्रांति का महत्व?
मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है. मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्त्व है. ज्योतिष विज्ञान ये मानता है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है. मकर संक्रांति के दिन घी-तिल-कंबल-खिचड़ी दान का खास महत्व है.
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन तिल, गुड़ और खिचड़ी के दान से किस्मत बदलती है. खुशी और समृद्धि के प्रतीक मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल में दान देना, स्नान करना या श्राद्ध कार्य करना शुभ माना जाता है. शास्त्रों में मकर संक्रांति पर गंगा स्नान की विशेष महिमा बताई गई है.
इस दिन शनि देव के लिए प्रकाश का दान करना भी बहुत शुभ होता है. पंजाब, यूपी, बिहार और तमिलनाडु में यह समय नई फसल काटने का होता है. इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं. इस दिन तिल और गुड़ की बनी मिठाई बांटी जाती है. इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की भी परंपरा है.
खिचड़ी के अलावा तिल का भी महत्व
मकर संक्रांति के दिन सिर्फ खिचड़ी ही नहीं, तिल से जुड़े दान और प्रयोग भी लाभ देते हैं. दरअसल, ये मौसम में परिवर्तन का समय होता है. ऐसे में तिल का प्रयोग विशेष हो जाता है. साथ ही मकर संक्रांति सूर्य और शनि से लाभ लेने का भी खास दिन होता है. मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है.