
Makar Sankranti 2022 on 14 January: हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार पूरे वर्ष में 12 संक्रांति होती हैं, लेकिन इनमें मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का विशेष महत्व है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान सूर्यदेव प्रत्येक मास के पश्चात अपनी राशि बदलते हैं. सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं. 14 जनवरी शुक्रवार को सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं और इस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. ज्योतिषी और काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ट्रस्ट के सदस्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि पौष शुक्ल द्वादशी दिनांक 14 जनवरी 2022 शुक्रवार को भगवान भास्कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे और इसी के साथ सूर्य उत्तरायण भी हो जाएंगे और खरमास की समाप्ति हो जाएगी.
14 जनवरी ही उत्तम तिथि (Makar Sankranti 2022 Tithi)
इस बार सूर्य के मकर राशि में गोचर का समय दो पंचागों में अलग-अलग है. बनारस के पंचांग में सूर्य के मकर राशि में गोचर का समय रात्रि में बताया गया है, जबकि प्रसिद्ध पंचाग ब्रजभूमि और मार्त्तण्ड पंचांग के अनुसार सूर्य का गोचर 14 जनवरी को दोपहर के समय हो रहा है. प्रसिद्ध पंचाग ब्रजभूमि और मार्त्तण्ड पंचांग के अनुसार सूर्य का गोचर 14 जनवरी को दोपहर 2 बजकर 13 मिनट पर हो रहा है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश सूर्यास्त से पहले ही हो रहा है इसलिए मकर संक्रांति के लिए उत्तम तिथि 14 जनवरी ही है.
मकर संक्रांति पर स्नान और दान का मुहूर्त (Makar Sankranti 2022 Shubh Muhurat)
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक, इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो शाम को 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. इसमें स्नान, दान, जाप कर सकते हैं. वहीं स्थिर लग्न यानि समझें तो महापुण्य काल मुहूर्त 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. इसके बाद दोपहर 1 बजकर 32 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक भी मुहूर्त रहेगा.
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व (Makar Sankranti 2022 Significance)
काशी के पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि पौष मास को जब सूर्य देव शनि की राशि से मकर में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य शनिदेव से मिलने स्वयं जाते हैं. मकर संक्रांति के दिन मां गंगा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर गंगासागर में जाकर मिली थी. मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. इसे देवताओं के दिन की शुरुआत होती है. इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत रोहिणी नक्षत्र में हो रही है. इसे उत्तम माना जाता है. मकर संक्रांति के दिन से शुभ कार्य विवाह ,मुंडन गृह प्रवेश जैसे धार्मिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. ठंड का प्रभाव कम होने लगता है. दिन बड़े होने लगते हैं और रात छोटी होने लगती है.
स्नान दान का विशेष महत्व- पंडित दीपक मालवीय ने आगे बताया कि मकर संक्रांति के दिन जप-तप, दान और पवित्र नदियों एवं सरोवरों में स्नान का विशेष महत्व है. प्रातः काल में दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें और भगवान भास्कर को प्रणाम कर उनका पूजन करें. सूर्य को लाल वस्त्र, गेहूं मसूर की दाल, लाल पुष्प, नारियल दक्षिणा इत्यादि अर्पित करें. ब्राह्मणों को चावल उड़द की दाल शीतवस्त्र (कंबल) दक्षिणा इत्यादि का दान करें. इससे भगवान सूर्य देव प्रसन्न होकर संपत्ति वैभव एवं आयुष्य प्रदान करते हैं. इस दिन दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और इसका पुण्य फल जन्म जन्मांतर तक मिलता रहता है.