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Mangala Gauri Vrat 2022: सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ेगा सावन का पहला मंगला गौरी व्रत, जानें- तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि

Mangala Gauri Vrat 2022 Date: क्या आप जानते हैं सावन में मंगलवार का महत्व भी कुछ कम नहीं है. सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत में माता पार्वती की उपासना की जाती है. इस साल सावन में कुल चार मंगला गौरी व्रत होंगे. खास बात ये है कि इसकी शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग से होने जा रही है.

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Mangala Gauri Vrat: सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा पहला मंगला गौरी व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि
Mangala Gauri Vrat: सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा पहला मंगला गौरी व्रत, जानें तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ मंगला गौरी व्रत की शुरुआत
  • जानें मुहूर्त और पूजन विधि

Mangala Gauri Vrat 2022 Kab Hai: सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू होने वाला है. भगवान शिव के भक्त अपनी मनोकामनाओं के लिए सावन के प्रत्येक सोमवार व्रत रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं सावन के मंगलवार का महत्व भी कुछ कम नहीं है. सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत में माता पार्वती की उपासना की जाती है. इस साल सावन में कुल चार मंगला गौरी व्रत होंगे. खास बात ये है कि इसकी शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग से होने जा रही है.

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सावन का पहला मंगला गौरी व्रत सर्वार्थ सिद्ध योग में रखा जाएगा. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है. पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई को पड़ रहा है और इस दिन सुबह 5 हजकर 35 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर  12 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. इस दिन रवि योग और सुकर्मा योग भी रहेंगे. पूजा के लिए ये तीनों ही मुहूर्त शुभ माने जाते हैं.

सावन मंगला गौरी व्रत 2022
19 जुलाई- पहला मंगला गौरी व्रत
26 जुलाई- दूसरा मंगला गौरी व्रत
02 अगस्त- तीसरा मंगला गौरी व्रत
09 अगस्त- चौथा मंगला गौरी व्रत

मंगला गौरी व्रत की पूजन विधि
मंगला गौरी व्रत के दिन प्रात:काल में स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें. इसके बाद पूजा स्थल की सफाई करें. एक चौकी रखें और उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. यहां माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद, देवी को सुहाग सामग्री, 16 ऋृंगार, चूड़ियां, सूखे मेवे, नारियल, इलायली, लौंग, सुपारी और मिठाई अर्पित करें. पूजा के बाद माता की आरती उतारे और कथा सुनें. इसके बाद माता को अर्पित किया हुआ प्रसाद लोगों में बांट दें.

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