दिवाली के 5 दिनों पहले से पांच उत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है. इसमें पहले दिन धनतेरस (Dhanteras 2020) और दूसरे दिन नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) मनाई जाती है है. तीसरे दिन दिवाली (Diwali 2020) के साथ ही ये महापर्व गोवर्धन पूजा और भाई दूज पर समाप्त होता है.
नरक चतुर्दशी को रूप चौदस, काली चौदस और छोटी दीपावली भी कहते हैं. इसे साल में एक बार आने वाला शुभ अवसर माना जाता है. इस दिन 6 देवों की पूजा करने का विधान है. कहा जाता है कि इस दिन इन 6 देवों की पूजा करने से सारे कष्ट मिट जाते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में.
यम पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन यम पूजा की जाती है. इस दिन रात में यम पूजा के लिए दीपक जलाए जाते हैं. इस दिन एक पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के कोने में जलाकर रखा जाता है. इसे यम दीपक भी कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन यम की पूजा करने से अकाल मृत्यु नहीं होती है.
काली पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन काली पूजा भी की जाती है. इसके लिए सुबह तेल से स्नान करने के बाद काली की पूजा करने का विधान है. ये पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है.
श्रीकृष्ण पूजा- मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध कर उसके कारागार से 16,000 कन्याओं को मुक्त कराया था. इसीलिए इस दिन श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है.
शिव पूजा- नरक चतुर्दशी के दिन के दिन शिव चतुर्दशी (Shiva Chaturdashi) भी मनाई जाती है. इस दिन शंकर भगवान को पंचामृत अर्पित करने के साथ माता पार्वती की भी विशेष पूजा की जाती है.
हनुमान पूजा- मान्यताओं के अनुसार इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन हनुमान पूजा करने से सभी तरह का संकट टल जाते हैं.
वामन पूजा- दक्षिण भारत में नरक चतुर्दशी के दिन वामन पूजा (Vamana Puja) का भी प्रचलन है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन राजा बलि को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था.