आज नृसिंह जयंती मनाई जा रही है. ये जयंती वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. भगवान नृसिंह विष्णु के पांचवें अवतार हैं. वैसे तो देश के हर कोने में भगवान नृसिंह की पूजा होती है लेकिन खासतौर पर दक्षिण भारत में नृसिंह को वैष्णव संप्रदाय के लोग संकट के समय रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजते हैं.
पूजा का शुभ मुहूर्त
नृसिंह जयंती सायंकाल पूजा का समय- दोपहर 4 बजकर 26 मिनट से शाम 7 बजकर 11 मिनट तक.
पूजा की अवधि: 2 घंटे 45 मिनट
भगवान नृसिंह की पूजा-विधि
भगवान नृसिंह की पूजा शाम के समय की जाती है. दोपहर के समय तिल, गोमूत्र, मिट्टी और आंवले को शरीर पर मलकर शुद्ध जल से स्नान करें. पूजा के स्थान को साफ कर भगवान नृसिंह की फोटो लगाएं. भगवान नृसिंह के चित्र के सामने दीपक जलाएं. उन्हें प्रसाद और लाल फूल अर्पित करें. इसके बाद अपनी मनोकामना का ध्यान करके इनके मंत्रों का जाप करें. भगवान नृसिंह के मंत्रों का जाप मध्य रात्रि में भी करना सबसे शुभ माना जाता है. व्रत के दिन फलाहार करें. अगले दिन किसी गरीब व्यक्ति को अन्न-वस्त्र का दान करके अपने व्रत का समापन करें.
भगवान विष्णु ने लिया था नृसिंह का अवतार
धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने दैत्यों के राजा हिरण्यकश्यप से अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए आधे नर और आधे सिंह के रूप में नरसिंह अवतार लिया था. इसलिए तभी से इस दिन को भगवान नृसिंह की जयंती के रूप में बड़े ही हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है. भगवान नृसिंह शक्ति और पराक्रम के देवता माने जाते हैं. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार कहे जाते हैं. मान्यता है कि इनकी पूजा-अर्चना करने से हर तरह के संकट से रक्षा होती है.