Navpatrika Puja 2021: शारदीय नवरात्रि इस बार आठ दिन के हैं, इसलिए पूजा को लेकर जातक कंफ्यूज भी हैं. नवरात्रि में वैसे तो नवपत्रिका की पूजा सातवें दिन सप्तमी तिथि को होती है, लेकिन इस बार दो तिथियां एक साथ होने की वजह से एक दिन कम हो गया. इसलिए सप्तमी तिथि 12 अक्टूबर 2021 दिन मंगलवार यानि नवरात्रि शुरू होने के छठवें दिन है. नाबापत्रिका को भगवान गणेश की पत्नी भी माना जाता है. इसलिए इस दिन पूजा करने से भगवान गणेश का भी आर्शीवाद प्राप्त होता है.
इस तरह होती है पूजा
नाबापत्रिका पूजा में नौ पौधों की पत्तियों को मिलाकर बनाए गए गुच्छे की पूजा की जाती है. इन नौ पत्तियों को मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है. नाबापत्रिका यानी इन नौ पत्तियों को सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी के पानी से स्नान कराया जाता है, जिसे महास्नान कहते हैं. इसके बाद नाबापत्रिका को पूजा पंडाल में रखा जाता है. इस पूजा को 'कोलाबोऊ पूजा' भी कहते हैं. है.
पूजा का महत्व
किसान भी नाबापत्रिका की पूजा करते हैं. मान्यता है कि नाबापत्रिका की पूजा से फसल में अच्छी पैदावार होती है. इस पूजन के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति को भी साथ में रखा जाता है. नाबापत्रिका को भगवान गणेश की पत्नी भी माना जाता है. इसलिए नाबापत्रिका पूजा से गणेश जी की भी जातकों को विशेष कृपा मिलती है.
ऐसे बनाएं नाबापत्रिका
नौ अलग-अलग पेड़ों के पत्तियां मिलाकर नाबापत्रिका तैयार की जाती है. इसमें हल्दी, जौ, बेल पत्र, अनार, अशोक, अरूम, केला, कच्वी और धान के पत्तों का इस्तेमाल होता है. नाबापत्रिका में इस्तेमाल नौ पत्तियां मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं. केले के पत्ते को ब्राह्मणी का प्रतीक माना जाता है जबकि अरवी के पत्ते मां काली के प्रतीक माने जाते हैं. इसी तरह हल्दी के पत्ते मां दुर्गा, जौ की बाली देवी कार्तिकी, अनार के पत्ते देवी रक्तदंतिका, अशोक के पत्ते देवी सोकराहिता का प्रतीक, अरुम का पौधा मां चामुंडा और धान की बाली मां लक्ष्मी की प्रतीक मानी जाती है. वहीं नाबापत्रिका में इस्तेमाल बेल पत्र को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है.