Navratri 2021: नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है. भगवान शिव की प्राप्ति के लिए इन्होंने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने इनको दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौर हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. माना जाता है कि माता सीता ने भगवान राम की प्राप्ति के लिए इन्हीं की पूजा की थी.
मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग में इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण मैं इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है. इस बार मां गौरी की पूजा 20 अप्रैल को की जाएगी.
क्या है मां गौरी की पूजा विधि?
पीले वस्त्र धारण करके पूजा आरम्भ करें. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें. पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें. उसके बाद इनके मंत्रों का जाप करें. अगर पूजा मध्य रात्रि मैं की जाए तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होंगे.
माता गौरी की पूजा की विशेष बातें क्या हैं?
मां की उपासना सफेद वस्त्र धारण करके करें. मां को सफेद फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें. साथ में मां को इत्र भी अर्पित करें. माता की पूजा से मनचाहा विवाह हो जाता है. साथ ही शुक्र से सम्बंधित समस्याएं भी हल होती हैं.
कन्याओं को भोजन कराने की परंपरा
नवरात्रि केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं है. यह नारी शक्ति के और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है. इसलिए नवरात्रि में कुंवारी कन्याओं को पूजने और भोजन कराने की परंपरा भी है. हालांकि नवरात्रि में हर दिन कन्याओं के पूजा की परंपरा है, लेकिन अष्टमी और नवमी को अवश्य ही पूजा की जाती है. 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की कन्या की पूजा का विधान किया गया है. अलग अलग उम्र की कन्या देवी के अलग-अलग रूप को बताती है.