मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां स्वरूप हैं. ये तीन नेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में विद्युत् की अद्भुत माला है. इनके हाथों में खड्ग और कांटा है और इनका वाहन गधा है. लेकिन ये भक्तों का हमेशा कल्याण करती हैं. इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहते है. इस बार मां कालरात्रि की पूजा सोमवार, 19 अप्रैल को की जाएगी.
इनकी उपासना से क्या लाभ हैं
शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करनेके लिए इनकी उपासना अत्यंत शुभ होती है. इनकी उपासना से भय,दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है. इनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा का ( तंत्र मंत्र) असर नहीं होता है. ज्योतिष में शनि नामक ग्रह को नियंत्रित करने के लिए इनकी पूजा करना अदभुत परिणाम देता है.
क्या है मां कालरात्रि की पूजा विधि?
मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं. मां को लाल फूल अर्पित करें. साथ ही गुड़ का भोग लगाएं. मां के मन्त्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें. लगाएं गए गुड़ का आधा भाग परिवार में बाटें. बाकी आधा गुड़ किसी ब्राह्मण को दान कर दें. काले रंग के वस्त्र धारण करके या किसी को नुकसान पंहुचाने के उद्देश्य से पूजा न करें.
शत्रु और विरोधियों को कैसे रखें शांत
श्वेत या लाल वस्त्र धारण करके रात्रि में मां कालरात्रि की पूजा करें. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उन्हें गुड का भोग लगाएं. इसके बाद 108 बार नवार्ण मंत्र पढ़ते जाएं और एक एक लौंग चढ़ाते जाएंनवार्ण मंत्र है - "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे" उन 108 लौंग को इकठ्ठा करके अग्नि में डाल दें. आपके विरोधी और शत्रु. शांत होंगे.