Navratri 2021 Kanya Pujan Shubh Muhurat: नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि (Navami tihi) का खास महत्व होता है. नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मां का ये स्वरूप भक्तों को सिद्धि प्रदान करता है. नवमी तिथि को घटस्थापना की तिथि यानी नवरात्रि के पहले दिन की तरह ही महत्वपूर्ण माना जाता है. नवमी के दिन मां को प्रसन्न करने के लिए विधिवत तरीके से पूजा अर्चना की जाती है. नवमी के दिन कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और इसकी विधि.
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त (Kanya Pujan ka Shubh Muhurt)- नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी. नवमी के दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11.43 बजे से 12. 30 मिनट तक अभिजित मुहूर्त में रहेगा. इसके अतिरिक्त अमृत काल और ब्रह्म मुहूर्त में भी पूजन करना शुभ है. चौघड़िया का समय इस प्रकार है.
दिन का चौघड़िया
शुभ – 06:27 AM से 07:53 PM तक
लाभ – 12:12 PM से 13:39 PM तक
अमृत – 13:39 PM से 15:05 PM तक
शुभ – 16:32 PM से 17:58 PM तक
रात का चौघड़िया
अमृत– 17:58 PM से 19:32 PM तक
लाभ – 00:13 PM से 01:46 PM तक
शुभ – 03:20 PM से 04:54 PM तक
अमृत – 04:54 PM से 06:27 PM तक
कन्या पूजन विधि (Navami kanya Pujan Vidhi)- कन्या पूजन के लिए आने वाली कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं. इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से से धोएं. इसके बाद पैर छूकर आशीष लें. इसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं. फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं.भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें. कन्या पूजन के लिए हलवा पूड़ी और चने प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं.
कन्या पूजन का महत्व- मान्यता है कि नवरात्रि में कन्या पूजन से प्रसन्न होकर माता रानी दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है. छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.