नौ दिनों तक चलने वाला शक्ति की आराधना का पर्व गुरुवार से ही शुरू हो चुका है. शारदीय नवरात्र में देश का कोना-कोना भक्तिमय हो चला है. नवरात्र के दूसरे दिन देवी के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है.
भगवती की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है. तप व संयम का आचरण करने वाली भगवती को ही ब्रह्मचारिणी कहा गया. देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योति से परिपूर्ण व आभामय है. माता के दाहिने हाथ में जप की माला व बाएं हाथ में कमंडल है. देवी के इस स्वरूप की पूजा और साधना से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है.
मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने का मंत्र इस प्रकार है:
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
इसका अर्थ है, 'हे मां! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार नमस्कार है. मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं.' माता का आशीर्वाद पाने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन इसका जाप जरूर करना चाहिए.