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Ratha Saptami 2025: रथ सप्तमी आज, इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा, बढ़ेगी सुख-संपन्नता

Ratha Saptami 2025: माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 4 फरवरी को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर आरंभ होगी. अगले दिन यानी 5 फरवरी को सुबह 02 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार, रथ सप्तमी 4 फरवरी को मनाई जाएगी.

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रथ सप्तमी के दिन से ही सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं.
रथ सप्तमी के दिन से ही सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं.

Ratha Saptami 2025: माघ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रथ सप्तमी या आरोग्य सप्तमी मनाई जाती है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन कश्यप ऋषि और अदिति के संयोग से भगवान सूर्य का जन्म हुआ था. इसलिए इसे सूर्य की जन्म तिथि भी माना जाता है. इसी दिन से सूर्य के सातों घोड़े उनके रथ को वहन करना प्रारंभ करते हैं. यही कारण है कि इसे रथ सप्तमी भी कहा जाता है. रथ सप्तमी पर विधिवत पूजा से आरोग्य जीवन व संतान की प्राप्ति होती है.

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रथ सप्तमी की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 4 फरवरी को सुबह 4 बजकर 37 मिनट पर आरंभ होगी. अगले दिन यानी 5 फरवरी को सुबह 02 बजकर 30 मिनट पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार, रथ सप्तमी 4 फरवरी को मनाई जाएगी.

सूर्य उपासना से होगा लाभ
रथ सप्तमी के दिन सूर्य उपासना को बहुत ही कल्याणकारी बताया गया है. कहते हैं कि इस दिन सूर्य उपासना व्यक्ति को यशस्वी, तेजस्वी और निरोगी बनाती है. सूर्य उपासना से शरीर का बहुमुखी विकास होता है. ज्ञान, सुख, पद, प्रसिद्धि,सफलता मिलती है. कारोबार या नौकरी में समस्याएं आ रही हों तो वो भी दूर हो जाती हैं.

रथ सप्तमी की पूजन विधि
स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. फिर सूर्य को जल अर्पित करें. घर के बाहर या मध्य में सात रंगों की रंगोली (चौक) बनाएं. मध्य में चार मुख वाला दीपक रखें. चारों मुखों को प्रज्ज्वलित करें. लाल पुष्प और शुद्ध मीठा पदार्थ अर्पित करें. गायत्री मंत्र या सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें. जाप के बाद गेंहू, गुड़, तिल, ताम्बे का बर्तन और लाल वस्त्र दान करें. फिर घर के प्रमुख के साथ सभी लोग भोजन ग्रहण करें.

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सूर्य देव को अर्घ्य देने के नियम
रथ सप्तमी पर सूर्य देव को जल देने के कुछ विशेष नियम भी होते हैं. इस दिन उगते हुए सूर्य को या सूर्योदय के आधे घंटे के अंदर जल चढ़ाना श्रेष्ठ होता है. बेहतर होगा कि सादा जल अर्पित करें और ऐसे स्थान से करें, जहां से वह पौधों में जा सके. पीतल या ताम्बे के लोटे से ही जल अर्पित करें. जल अर्पित करते समय सूर्य देव की वंदना करें. इसके बाद भगवान सूर्य का ध्यान करें. फिर आज्ञा चक्र और अनाहत चक्र पर तिलक लगाएं.

सूर्य के चमत्कारी मंत्र

1. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।

2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा :।।

3. ऊँ सूर्याय नमः।

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