Skanda Sashti 2021: स्कंद षष्ठी भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय (भगवान स्कंद) की उपासना का दिन है. दक्षिण भारत में इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. यहां लोग कार्तिकेय जी को मुरुगन नाम से पुकारते हैं और उनकी पूजा-अर्जना करते हैं. स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व बताया गया है. इस बार 18 जानवरी को स्कंद षष्ठी मनाई जा रही है. आइए आपको इसके महत्व और पूजन विधि के बारे में विस्तार से बताते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी असुरों के नाश की खुशी में मनाया जाता है. इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करने से उनके भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है. हर वर्ष आने वाले इस छह दिवसीय उत्सव में सभी भक्त बड़ी संख्या में भगवान कार्तिकेय के मंदिरों में इकट्ठा होते हैं और सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं.
पूजन विधि- इस दिन श्रद्धालु स्कंद षष्ठी का उपवास करते हैं. व्रत करने वाले लोगों को भगवान मुरुगन का पाठ, कांता षष्ठी कवसम और सुब्रमणियम भुजंगम का पाठ करना चाहिए. भगवान मुरुगन के मंदिर में सुबह जाकर उनकी पूजा करने का विधान है. उपवास के दौरान कुछ भी न खाएं. आप दिन में सिर्फ एक बार भोजन या फलाहार कर सकते हैं. छह दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर सभी दिन उपवास करना शुभ माना जाता है
दक्षिण भारत में कई लोग इस पर्व पर नारियल पानी पीकर भी छह दिनों तक उपवास करते हैं. इस दौरान व्रत करने वालों को झूठ बोलने, लड़ने-झगड़ने से परहेज करना चाहिए. स्कंद षष्ठी पर 'ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात' का जाप करना बेहद शुभ माना गया है.