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Vijaya Ekadashi 2021: कब है विजया एकादशी, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर ख़राब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है.

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Vijaya Ekadashi 2021: कब है विजया एकादशी, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
Vijaya Ekadashi 2021: कब है विजया एकादशी, जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
स्टोरी हाइलाइट्स
  • एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन-शरीर दोनों पर पड़ता है
  • एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को नष्ट किया जा सकता है

Vijaya Ekadashi 2021: व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या तथा एकादशी के हैं. उसमें भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है. ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है, क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर दोनों पर पड़ता है. इसके अलावा एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है. इस बार विजया एकादशी 9 मार्च को है.

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विजया एकादशी इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों है?
वैसे तो हर एकादशी अपने आप में महत्वपूर्ण है, लेकिन विजया एकादशी अपने नाम के अनुसार विजय दिलाने वाली मानी जाती है. इस एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना होती है. इस एकादशी का व्रत करने से आप भयंकर विपत्तियों से छुटकारा पा सकते हैं. बड़े से बड़े शक्तिशाली शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं. 

विजया एकादशी मुहूर्त- विजया एकादशी 8 मार्च को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से प्रारंभ होकर 9 मार्च दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी.

विजया एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा कैसे करें?
श्री हरी की स्थापना एक कलश पर करें. इसके बाद श्रद्धापूर्वक श्री हरि का पूजन करें. मस्तक पर सफेद चन्दन या गोपी चन्दन लगाकर पूजन करें. इनको पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें. चाहें तो एक वेला उपवास रखकर , एक वेला पूर्ण सात्विक आहार ग्रहण करें. शाम को आहार ग्रहण करने के पहले उपासना और आरती जरूर करें. अगले दिन प्रातःकाल उसी कलश का और अन्न वस्त्र आदि का दान करें.

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विजया एकादशी पर किन बातों का ध्यान रखें?
अगर उपवास रखें तो बहुत उत्तम होगा, नहीं तो एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करें. एकादशी के दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन न करें. रात्रि के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है. क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें.

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