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धर्म की ख़बरें

Jagannath Rath Yatra 2021: कोरोना संकट के बीच निकली जगन्नाथ यात्रा, देखें तस्वीरें

जगन्नाथ यात्रा
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कोरोना संकट के बीच ओडिशा और गुजरात में आज भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा धूमधाम से निकाली जा रही हैं. कोविड के चलते इस बार ओडिशा में सिर्फ पुरी में ही रथयात्रा को सीमित रखा गया है. गुजरात के अहमदाबाद में जगन्नाथ रथ यात्रा से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सुबह की मंगला आरती में हिस्सा लिया. कोरोना के खतरे को देखते हुए मंदिर परिसर में कुछ ही लोगों को जाने की अनुमति है. 

तस्वीर: तापस बैरिया/उज्जवल

जगन्नाथ यात्रा
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अहमदाबाद में जगन्नाथ रथ यात्रा का पूरा रूट करीब 13 किलोमीटर का है. आमतौर पर इस यात्रा को पूरा होने में 10 घंटे का वक्त लगता है, लेकिन कोविड काल में क्योंकि श्रद्धालु नहीं हैं, ऐसे में इसे 4-5 घंटे में ये यात्रा पूरी हो सकती है.

तस्वीर: तापस बैरिया/उज्जवल

जगन्नाथ यात्रा
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वहीं, जगन्नाथ यात्रा के मद्देनजर पुरी (ओडिशा) में दो दिन का कर्फ्यू लगाया गया है. यहां भी जगन्नाथ की एक बड़ी प्रतिमा को पुजारी रथ से लेकर निकल पड़े हैं. मंदिर में सुबह आरती से पहले मंदिर के किचन में पूजा, सूर्य और द्वारपाल पूजा, सकल धूप (प्रसाद चढ़ाना) और मंगल अर्पण जैसे रिवाज विधि-विधान के साथ पूरे किए गए.

तस्वीर- मोहम्मद सूफियान

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जगन्नाथ यात्रा
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जगन्नाथा यात्रा के दौरान गजपति महराज रथ पर सवार देवता को आगे बढ़ाते हुए एक खास रिवाज निभाते हैं. इसे चेरा पहारा कहा जाता है. इसमें गजपति महाराज सोने की झाड़ू से सड़क को साफ करते हैं और उस पर चंदन की लकड़ी का पानी छिड़कते हैं.

तस्वीर- मोहम्मद सूफियान

जगन्नाथ यात्रा
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आरती के बाद मंदिर परिसर में मौजूद सभी लोग मास्क पहने हुए नजर आए. रथ यात्रा के दौरान कुछ भी अव्यवस्थित न हो, इसके लिए सुरक्षाबल को भी अलर्ट पर रखा गया था. यात्रा को नियंत्रित करने के लिए भी सिर्फ 65 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.

तस्वीर: तापस बैरिया/उज्जवल

जगन्नाथ यात्रा
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कोरोना वायरस के चलते इस बार भी जगन्नाथ यात्रा में श्रद्धालुओं को शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई है. रथ यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं.

तस्वीर: तापस बैरिया/उज्जवल

जगन्नाथ यात्रा
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यहां हर साल रथ यात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता है, जहां भगवान 7 दिनों तक आराम करते हैं. इस दौरान गुंडिचा माता मंदिर में खास तैयारी होती है और मंदिर की सफाई के लिए इंद्रद्युमन सरोवर से जल लाया जाता है.

तस्वीर: तापस बैरिया/उज्जवल

जगन्नाथ यात्रा
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रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ साल में एक बार मंदिर से निकल कर जनसामान्य के बीच जाते हैं. इसलिए ही इस रथयात्रा का इतना ज्यादा महत्व है. रथयात्रा में सबसे आगे ताल ध्वज होता जिस पर श्री बलराम होते हैं, उसके पीछे पद्म ध्वज होता है जिस पर सुभद्रा और सुदर्शन चक्र होते हैं और सबसे अंत में गरूण ध्वज पर श्री जगन्नाथ जी होते हैं जो सबसे पीछे चलते हैं.

तस्वीर: तापस बैरिया/उज्जवल

जगन्नाथ यात्रा
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बता दें कि पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है. पुरी को पुरुषोत्तम पुरी भी कहा जाता है. राधा और श्रीकृष्ण की युगल मूर्ति के प्रतीक स्वयं श्री जगन्नाथ जी हैं. यानी राधा-कृष्ण को मिलाकर उनका स्वरूप बना है और कृष्ण भी उनके एक अंश हैं.

तस्वीर: तापस बैरिया/उज्जवल

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जगन्नाथ यात्रा
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भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दि्तीया से दशमी तक जनसामान्य के बीच रहते हैं. इसी समय उनकी पूजा करना विशेष फलदायी होता है. जगन्नाथ यात्रा आज से शुरू हो चुकी है. कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस बार की जगन्नाथ यात्रा को कई शर्तों के साथ मंजूरी मिली है.

तस्वीर: तापस बैरिया/उज्जवल

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