हरिद्वार में कुंभ मेले का श्रीगणेश हो चुका है. कुंभ में आस्था की प्रतीक और आकर्षण का मुख्य केंद्र पेशवाई होता है. जूना और अग्नि अखाड़े ने गुरुवार को शाही अंदाज में पेशवाई निकाली. ये पेशवाई पाण्डेवाला ज्वालापुर स्थित गुघाल मंदिर परिसर से शुरू हुई. पेशवाई में अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज समेत विभिन्न महामंडलेश्वर आकर्षक ढंग से सजे हुए रथों पर सवार नजर आए.
इस पेशवाई में सबसे आगे हाथी, फिर ऊंट और उसके बाद नागा साधु इष्ट देव की पालकी थी. आचार्य महामंडलेश्वर और अन्य महामंडलेश्वरो के रथों को फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया गया था. सभी रथों में चांदी के सिंहासन पर आचार्य महामंडलेश्वर और महामंडलेश्वर विराजमान थे. बड़ी संख्या में नागा साधुओं ने पेशवाई में भगवान शंकर का तांडव, करतब, बल और विभिन्न योग क्रिया दिखाई.
पेशवाई में गढ़वाल और कुमायूं से आए लोक कलाकारों ने भी प्रस्तुति दी. इसकी भव्यता में हेलीकॉप्टर से फूलों की बरसा किए जाने से चार चांद लग गए थे. पेशवाई में बड़ी संख्या में नागा साधुयों के साथ संत भी पैदल चल रहे थे. जूना और अग्नि अखाड़े की पेशवाई में सबसे बड़ा आकर्षण किन्नर अखाड़ा रहा. पहली बार किन्नर अखाड़ा किसी पेशवाई में शामिल हुआ.
इस अखाड़े के गहनों से लदे और आकर्षक ढंग से सजे सदस्य सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे. पेशवाई किसी भी अखाड़े के लिए विशेष महत्व रखती है जिसमें अखाड़ा अपनी धनबल और जन बल और समृद्धि आदि का प्रदर्शन करता है.
पेशवाई ने गुघाल मंदिर परिसर से शुरू होकर शहर भर का भ्रमण करते हुए शंकर आश्रम होते हुए कनखल हरिद्वार शिवमूर्ति चौक,लालताराव पुल, होते हुए अखाड़े की मेला छावनी में प्रवेश किया. आपको बता दें कि अखाड़ा परिषद किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं देता है इसलिए ही किन्नर अखाड़े ने जूना अखाड़े के साथ ही स्नान करने का समझौता किया है.
जूना अखाड़े में महामंडलेश्वर बने स्वामी करण पुरी महाराज ने कहा, 'बड़े ही सौभाग्य का दिन था. सिद्ध पीठ माया देवी मंदिर के प्रांगण में न्याय के देवता भैरव बाबा की शरण में हरिद्वार के कुंभ के अंदर गंगा मैया के पावन चरणों में आज मुझे यह सौभाग्य मिला. आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज द्वारा विधि-विधान द्वारा पूजा-अर्चना करवाई गई और मैं अपने भगवान को और महाराज को कोटि-कोटि नमन करता हूं कि उन्होंने इतनी कृपा करके आज अपने बच्चों को महामंडलेश्वर की उपाधि से नवाजा. मैं उनको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं कि आज यह भव्य यात्रा को देखने का नजारा मिल गया. मुझे महामंडलेश्वर बनने के साथ ही पेशवाई के अंदर जाने का सौभाग्य मिला. मेरे लिए बहुत ही गौरव की बात है.'
किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, '2015 में किन्नर अखाड़ा की स्थापना हुई, 2016 में हमें आचार्य महामंडलेश्वर हमारे समाज के लोगों ने बनाया, 2016 का सिंहस्थ कुंभ जो 12 साल में एक बार उज्जैन में होता है, वहां हमारे सभी महामंडलेश्वर बने, तब 13 अखाड़े हमारे खिलाफ थे, 2019 के कुंभ में प्रयागराज में कुंभ में किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ रजिस्ट्री करके एक एग्रीमेंट किया कि किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान करेगा.'
आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, 'किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़ा के साथ इस कोरोना काल में ज्यादा अलग-अलग न हो, समाज में एक मैसेज जाए कि किन्नर जूना अखाड़ा के साथ में है. इसके लिए हमने नगर प्रवेश किया. हमने बुधवार को धर्म ध्वजा की और अब पेशवाई कर रहे हैं. समाज में एक समय ऐसा था कि किन्नरों को हेय दृष्टि से देखा जाता था. आज भारत पूरी दुनिया में किन्नरों के अधिकारों के लिए फेमस हो रहा है और आगे बढ़कर काम कर रहा है. ट्रांसजेंडर राइट, ट्रांसजेंडर पॉलिसीज हैं, बहुत सारे स्टेट्स में वेलफेयर बोर्ड है. मैं अनुरोध करती हूं कि मुख्यमंत्री ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड भी जल्द से जल्द बनाएं और किन्नरों को इसमें जो स्थान मिलना चाहिए वो दें.'
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का कहना है कि किन्नर कोई अलग नहीं हैं, समाज का ही एक अंग है. मुख्यधारा समाज को यह बात सोचनी चाहिए और इस बात पर समाज को आगे बढ़ कर बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमने अपनी सभी मांगे जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री को दे दी है और हमे विश्वास है कि सरकार हमारी बातों को मानेगी. जहां तक प्रशासन की बात है वह संतो ने कह दिया है कि हम जूना अखाड़ा के साथ हैं लेकिन हम अपनी अलग पहचान रखते हैं. एक अलग अखाड़ा जैसे आवाज अग्नि और अन्य अखाड़ा है वैसे ही जूना अखाड़ा है और हमारे सारे महामंडलेश्वर आए हुए हैं. सभी मेंबर किन्नर अखाड़ा के साथ हैं. शहर के सभी लोग यहां आए हुए हैं. एक सबसे बड़ी बात है कि बदलाव सृष्टि का नियम है. किन्नर अखाड़ा बदलाव का एक नाम है. जय श्री महाकाल.'