मकर संक्रांति पर आज महाकुंभ का पहला अमृत स्नान है. मकर संक्रांति के मौके पर विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई.
अमृत स्नान शाही स्नान को ही कहा जाता है. यह महाकुंभ 12 वर्षों के बाद आयोजित किया जा रहा है. साधु और संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए 144 वर्षों के बाद एक बहुत ही दुर्लभ मुहूर्त बना है, जो समुद्र मंथन के दौरान बना था.
महाकुंभ के पहले अमृत स्नान पर कई अखाड़ों के नागा साधुओं ने आज संगम में डुबकी लगाई जैसे निरंजनी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा ने पवित्र स्नान किया.
हाथी, घोड़े, ऊंट पर सवार नागु साधु-संत, हाथों में त्रिशूल, गदा, भाला-बरछी लेकर 'जय श्री राम', 'हर हर महादेव' के जयघोष के साथ संगम पर दिखे.
साथ ही, संतों, संन्यासियों और नागा साधुओं को देखने के लिए अखाड़ा मार्ग के दोनों ओर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ भी दिखी.
कुंभ मेला सनातन धर्म के सबसे बड़े और पवित्र धार्मिक आयोजनों में से एक है, जो हर 12 वर्ष में एक बार होता है.
वहीं, महाकुंभ 144 वर्ष में एकबार आता है. जिसमें ग्रहों की स्थिति बहुत ही महत्वपूर्ण होती है. सूर्य, चंद्रमा और गुरु ग्रहों की स्थिति के आधार पर कुंभ का आयोजन किया जाता है.
कुंभ मेले का आयोजन चार स्थानों जैसे- प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है. इस आयोजन की चार श्रेणियों हैं- कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ.