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धर्म की ख़बरें

मोढ़ेरा के विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर की 5 खास बातें, PM मोदी ने शेयर किया वीडियो

मोढ़ेरा का विश्व प्रसिद्ध सूर्य मंदिर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर मोढेरा के सूर्य मंदिर (modhera surya temple) का शानदार वीडियो शेयर किया है. मोढ़ेरा का प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर बारिश की बूंदों के बीच बेहद आकर्षक नजर आ रहा है. पीएम मोदी ने जिस मंदिर का वीडिया ट्विटर वॉल पर शेयर किया है, वह दुनियाभर में अपनी खूबियों के लिए मशहूर है. आइए आपको इस मंदिर से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्प और खास बातें बताते हैं.

क्या है मंदिर की खासियत?
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यह सूर्य मंदिर अहमदाबाद से लगभग 100 किलोमीटर दूर पुष्पावती नदी के किनारे पर बसे मोढ़ेरा में स्थित है. मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया है कि सूर्योदय होते ही सूर्य की पहली किरण सीधे इसके गर्भगृह में दाखिल होती है. गर्भगृह की दीवार पर लगे शिलालेख से पता चलता है कि इसका निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम ने करवाया था.

कब हुआ मंदिर का निर्माण?
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सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम सूर्य को कुल देवता के रूप में पूजते थे. इसीलिए उन्होंने अपने कुल देवता की पूजा के लिए इस भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था. सूर्य मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में हुआ था. मंदिर के भव्य निर्माण की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके जुड़ाव में कहीं भी चूने का इस्तेमाल नहीं किया गया है.

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भारत के तीन बड़े सूर्य मंदिरों में शुमार
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हर साल (Makar Sankranti) मकर संक्रांति (जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है) पर इस धार्मिक स्थान के दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन श्रद्धालु मंदिर में बने सूर्यकुंड के के पवित्र जल से स्नान भी करते हैं. भारत में तीन सूर्य मंदिर हैं जिसमें पहला उड़ीसा का कोणार्क मंदिर, दूसरा जम्मू में स्थित मार्तंड मंदिर और तीसरा गुजरात का मोढ़ेरा सूर्य मंदिर है.

सूर्यकुंड और रामकुंड की खासियत
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ईरानी शैली के इस मंदिर को भीमदेव ने दो हिस्सों (गर्भगृह और सभामंडप) में बनवाया था. सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं. स्तंभों पर रामायण-महाभारत के चित्रों और प्रसंगों को बड़ी खूबसूरत से उकेरा गया है. स्तंभ का निचला हिस्सा अष्टकोणाकार है, जबकि ऊपर से वे गोल दिखाई देते हैं. इसके अलावा सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड बना हुआ है. इसे सूर्यकुंड या रामकुंड भी कहा जाता है.

आत्मशुद्धि के लिए आए थे श्रीराम
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मोढ़ेरा की भूमि का जिक्र स्कंद पुराण और ब्रह्म पुराण में भी है. प्राचीन काल में मोढ़ेरा से जुड़े क्षेत्र को धर्मरण्य कहा जाता था. ऐसा भी कहा जाता है कि रावण का संहार करने के बाद भगवान श्रीराम (Jai shree ram) इस स्थान पर आए थे. गुरु वशिष्ट ने उन्हें ऐसे स्थान पर जाने के लिए कहा था जहां ब्रह्म हत्या के पाप से भी मुक्ति पाने के लिए आत्मशुद्धि की जा सके.

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