राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे,सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने। भारतीयों के लिए भगवान राम का क्या महत्व है, श्रीराम की स्तुति के रूप में यह श्लोक दर्शा देता है. यह श्लोक उस भाव को सामने रखता है जो कहता है कि "कण-कण में राम हैं यानी हर ओर बस राम ही राम हैं." राम राष्ट्र के मंगल हैं, लोकमंगल की कामना हैं राम, मर्यादा उच्च आदर्श हैं राम, राम आस्था हैं, राम श्रद्धा हैं, राम धर्म हैं, राम ईश्वर हैं, राम जन-जन का विश्वास हैं, हर मन की आस्था हैं राम. हर मनुष्य की आस हैं राम, राम सत्य हैं, राम राज्यों की कल्पना हैं, राम देश की एकता के प्रतीक हैं, आदर्श राष्ट्रभक्त हैं राम, राम अगम हैं, संसार के कण-कण में विराजते हैं राम, मर्यादा पुरषोत्तम हैं राम, करूणानिधि हैं राम, इस सृष्टि के सुंदरतम अभिवयक्ति हैं राम, प्राणी के मित्र हैं राम, प्रकृति के मित्र हैं राम, हम सब के अभिरक्षक हैं राम, दयानिधि हैं राम. उन्हीं भगवान नारायण, जिन्होंने रामलला के रूप में रामनवमी के दिन जन्म लिया था, आज उनका जन्मोत्सव मनाया जा रहा है.
राम नवमी के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किए गए परिधान
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली राम नवमी को देखते हुए भगवान राम की विशेष पूजा अर्चना की गई. सूर्य की किरणों से भगवान का सूर्याभिषेक किया गया. इस खास मौके पर रामलला को विशेष रूप से डिजाइन किया हुआ परिधान पहनाया गया.
रामलला को पीतांबर यानी पीले रंग का विशेष परिधान पहनाया गया. इसे बनाने के लिए खादी और हैंडलूम का इस्तेमाल किया गया. परिधानों में वैष्णव संप्रदाय के प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया है.
परिधान पर गोल्ड ओर सिल्वर धागों से विशेष कढ़ाई की गई है. रामलला के वस्त्रकार मनीष त्रिपाठी के मुताबिक, इस परिधान को तैयार करने में उन्हें 20 से 22 दिन का वक्त लगता है. रामलला के वस्त्रों में मखमली कॉटन का इस्तेमाल किया जाता है ताकि अंदर से सॉफ्ट रहे. इसके अलावा उन्हें दिव्य हार भी पहनाया गया था. साथ ही सोने-चांदी और विभिन्न रत्नों के आभूषण भी उन्हें पहनाए गए.
अलग-अलग दिन के हिसाब से तय होता है परिधान
रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि अलग-अलग दिन के हिसाब से रामलला के लिए अलग-अलग रंग के परिधान निर्धारित किए गए हैं. सोमवार को रामलला की प्रतिमा को सफेद रंग के परिधान पहनाए जाते हैं. मंगलवार को गुलाबी, बुधवार को हरे, गुरुवार को पीले, शुक्रवार को क्रीम, शनिवार को नीले और रविवार को लाल रंग के परिधान तय किए गए हैं.
अद्भूत रहा रामलला का सूर्यतिलक का नजारा
रामनवमी के मौके पर रामलला का सूर्यतिलक का नजारा बहुत अद्भुत रहा. सूर्य की रोशनी मंदिर की तीसरी मंजिल पर लगे पहले दर्पण पर पर पड़ी. यहां से परावर्तित होकर पीतल के पाइप में प्रवेश की. पीतल के पाइप में लगे दूसरे दर्पण से टकराकर 90 डिग्री पर पुनः परावर्तित हुई. फिर पीतल की पाइप से जाते हुए यह किरण तीन अलग-अलग लेंस से होकर गुजरी और लंबे पाइप के गर्भगृह वाले सिरे पर लगे शीशे से टकराई. गर्भगृह में लगे शीशे से टकराने के बाद किरणों ने सीधे रामलला के मस्तिष्क पर 75 मिलीमीटर का गोलाकार तिलक लगाया. रामलला की मूर्ति लगातार पांच मिनट तक प्रकाशमान रही.