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Chaitra Amavasya 2025: चैत्र अमावस्या आज, पितरों की शांति के लिए जरूर करें ये उपाय

Chaitra Amavasya 2025: सूर्य और चंद्रमा के एकसाथ होने से अमावस्या की तिथि होती है. इसमें सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है. यह तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है. इसमें चंद्रमा की शक्ति जल में प्रविष्ट हो जाती है. इस तिथि को राहु और केतु की उपासना विशेष फलदायी होती है.

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चैत्र अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करते हैं. मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर पितरों का वास होता है.
चैत्र अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करते हैं. मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर पितरों का वास होता है.

Chaitra Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा का विशेष महत्व है. अमावस्या पर विशेष रूप से पितरों का तर्पण करना, दान-पुण्य करना और पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है. आज चैत्र अमावस्या है. चैत्र अमावस्या के दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से न केवल पितरों का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति भी लाता है.

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अमावस्या का महत्व
सूर्य और चंद्रमा के एकसाथ होने से अमावस्या की तिथि होती है. इसमें सूर्य और चंद्रमा के बीच का अंतर शून्य हो जाता है. यह तिथि पितरों की तिथि मानी जाती है. इसमें चंद्रमा की शक्ति जल में प्रविष्ट हो जाती है. इस तिथि को राहु और केतु की उपासना विशेष फलदायी होती है. इस दिन दान और उपवास का विशेष महत्व होता है. इस दिन विशेष प्रयोगों से विशेष लाभ होते हैं.

इस दिन किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें. सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें. इसके बाद गायत्री मंत्र का पाठ करें. भगवान शिव की उपासना अवश्य करें. पूजा-पाठ के बाद किसी जरूरतमंद को भोजन और वस्त्र का दान करें. फिर शाम के वक्त देवी लक्ष्मी का पूजन करना भी शुभ माना जाता है.

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पितरों की शांति के लिए करें ये उपाय
चैत्र अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करते हैं. मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर पितरों का वास होता है. पीपल की जड़ में काले तिल डालकर और दूध व जल मिलाकर चढ़ाएं. पितरों का तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें. अमावस्या के दिन ऐसा करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं. वे आपको संपन्नता का आशीर्वाद देते हैं. इस दिन शाम के समय पीपल के पेड़ पर सरसों का दीपक जलाएं. तुलसी पर घी का दीपक जलाना चाहिए.

पूर्वजों की कृपा से होगी धन प्राप्ति
चैत्र अमावस्या पर एक ताम्बे के पात्र में चावल भरें. उत्तर दिशा की ओर चेहरा करके बैठें. ताम्बे का पात्र सामने रखें. उस पात्र के अगल-बगल दो दीपक जला दें. अब ताम्बे के पात्र पर हाथ रखकर धन प्राप्ति की प्रार्थना करें. दीपक बुझ जाने के बाद ताम्बे के पात्र के मुख पर लाल कपड़ा बांध दें. इस बर्तन को संभालकर रखें. धन की स्थिति ठीक हो जाने पर पात्र सहित चावल का दान कर दें.

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