Chaitra Navratri 2024 Maha Ashtami: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल यानी आज मनाई जा रही है. इस बार चैत्र नवरात्रि बेहद खास थी क्योंकि इससे पहले दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भी लगा था. पूरे देश में नवरात्रि का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि के दो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माने जाते हैं, अष्टमी और नवमी तिथि. अष्टमी तिथि को माता महागौरी की उपासना की जाती है, इस दिन बहुत सारे लोग विशेष उपवास भी रखते हैं. अष्टमी के दिन कन्या पूजन भी किया जाता है.
महाअष्टमी शुभ मुहूर्त (Mahashtami 2024 Shubh Muhurat)
महाअष्टमी को दुर्गा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार अष्टमी तिथि 15 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से शुरू होगा और समापन 16 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 23 मिनट पर होगा. नवरात्रि की अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.
महाअष्टमी कन्या पूजन मुहूर्त (Mahashtami 2024 Kanya Pujan Muhurat)
महाअष्टमी कन्या पूजन मुहूर्त आज सुबह 7 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. वहीं, कन्या पूजन अभिजीत मुहूर्त में भी किया जा सकता है. अभिजीत मुहूर्त आज सुबह 11 बजकर 55 से लेकर दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा.
महाअष्टमी कन्या पूजन शुभ योग (Mahashtami 2024 Kanya Pujan Shubh Yog)
इस बार अष्टमी तिथि के दिन पर आज सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का निर्माण भी हो रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग आज सुबह 5 बजकर 16 मिनट से लेकर 17 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 53 मिनट तक रहेगा और रवि योग का भी यही मुहूर्त रहेगा. इन योगों में भी कन्या पूजन किया जा सकता है.
महाअष्टमी कन्या पूजन की विधि (Mahashtami 2024 Kanya Pujan Vidhi)
अष्टमी कन्या भोज या पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले आमंत्रित किया जाता है. गृह प्रवेश पर कन्याओं का पुष्प वर्षा से स्वागत करें. नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं. इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से धोएं. इसके बाद पैर छूकर आशीष लें. माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं.
फिर मां भगवती का ध्यान करके देवी रूपी कन्याओं को इच्छानुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें. आप नौ कन्याओं के बीच किसी बालक को कालभैरव के रूप में भी बिठा सकते हैं.
महाअष्टमी कन्या पूजन के नियम (Mahashtami Kanya Pujan niyam)
नवरात्रि में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है. दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है. चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है. छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है.
कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है. इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है. इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं. दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है. सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है.