जीवन में सफलता हासिल करने को लेकर चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ यानी 'चाणक्य नीति' कई बातों का वर्णन किया है. इन नीतियों के रास्ते पर चलकर कोई भी अपने जीवन को सही रूप दे सकता है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है. आचार्य ने 'चाणक्य नीति' के छठे अध्याय में एक श्लोक में कामयाबी के मंत्रों वर्णन किया है. आइए जानते हैं चाणक्य के सफलता के मंत्रों के बारे में...
प्रभूतंकार्यमल्पंवातन्नरः कर्तुमिच्छति।
सर्वारंभेणतत्कार्यं सिंहादेकंप्रचक्षते॥
लक्ष्य पर केंद्रित होना
इस श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को अपने लक्ष्य पर एक शेर की तरह नजर रखना चाहिए. जैसे शेर अपने शिकार पर नजर गड़ाकर रखता है और मौका पाकर शिकार पर झपट पड़ता है. वो अपने शिकार में सफल इसलिए हो पाता है क्योंकि उसका ध्यान उसके लक्ष्य पर केंद्रित रहता है.
एकाग्रता
व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र में सफलता मिलेगी या नहीं यह उसकी एकाग्रता शक्ति पर निर्भर करता है. किसी भी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अन्य चीजों से ध्यान हटाकर लक्ष्य पर केंद्रित करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति के लिए सफलता की राह आसान हो जाती है.
ईमानदारी से मेहनत
किसी भी काम में सफलता उसके प्रति ईमानदारी से की गई मेहनत पर भी निर्भर करती है. काम छोटा या बड़ा, कैसा भी हो, उसे पूरी इच्छा शक्ति के साथ करना चाहिए.
ऊर्जा
व्यक्ति को किसी भी मुकाम पर पहुंचने के लिए एक सफर को तय करना पड़ता है. लेकिन कई बार व्यक्ति सफर के बीच से ही हिम्मत हार जाता है और विफल हो जाता है. ऐसे व्यक्ति को सफर के अंत तक ऊर्जा से ओतप्रोत होना चाहिए. अंत तक हार न मानने वाला व्यक्ति ही सफलता को हासिल कर पाता है.