scorecardresearch
 

Chanakya Niti: प्रेम ही है परेशानी का कारण, चाणक्य ने ऐसा क्यों कहा?

आचार्य चाणक्य ने जीवन को जहां कामयाब बनाने को लेकर सैेकड़ों नीतियां बताई हैं, तो वहीं एक शख्स के जीवन में किन-किन चीजों से बाधा उत्पन्न हो सकती है, उसका भी वर्णन किया है. आचार्य चाणक्य ने प्रेम के रिश्ते को लेकर भी कुछ ऐसी ही बातें बताईं हैं.

Advertisement
X
Chanakya Niti, चाणक्य नीति
Chanakya Niti, चाणक्य नीति

आचार्य चाणक्य को एक महान कुटनीतिज्ञ माना जाता है. उनहोंने अपने नीति शास्त्र में जीवन से जुड़े सभी पहलुओं का जिक्र किया है. उन्होंने जीवन को जहां कामयाब बनाने को लेकर नीतियां बताई हैं तो वहीं एक शख्स के जीवन में किन-किन चीजों से बाधा उत्पन्न हो सकती है, उसका भी वर्णन किया है. आचार्य चाणक्य ने प्रेम के रिश्ते को लेकर भी कुछ ऐसी ही बातें बताईं हैं. इस श्लोक के जरिए चाणक्य कहते हैं- 

Advertisement

यस्य स्नेहो भयं तस्य स्नेहो दुःखस्य भाजनम्।

स्नेहमूलानि दुःखानि तानि त्यक्तवा वसेत्सुखम्॥

श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिससे स्नेह यानी प्रेम होता है उससे भय भी उत्पन्न होता है, ऐसे में प्रेम ही सारे दुखों की जड़ है. चाणक्य कहते हैं कि इसलिए इंसान को प्रेम के बंधन को तोड़कर सुखी जीवन बिताना चाहिए, क्योंकि जो प्यार करते हैं वही डरते भी हैं, उन्हें खोने का डर होता है. 

दह्यमानां सुतीव्रेण नीचाः परयशोऽग्निना।

अशक्तास्तत्पदं गन्तुं ततो निन्दां प्रकुर्वते॥

इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि दुष्ट व्यक्ति दूसरे की खुशी और कामयाबी को देखकर जलता है, परेशान होता है. वह खुद कभी सफल नहीं हो सकता. यही कारण है कि वह दूसरों की खुशी व कामयाबी की निंदा करने लगता है.

बन्धन्य विषयासङ्गः मुक्त्यै निर्विषयं मन।

मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयो॥

Advertisement

इस श्लोक के जरिए चाणक्य ने कहा है कि बुराइयों में मन को लगाना ही बंधन कहलाता है. जो लोग हमेशा बुराई करने में लगे रहते हैं वे दुष्ट हैं. जो व्यक्ति बुराई से खुद को अलग कर लेता है वो सुखी रहता है, उसके लिए मोक्ष का मार्ग खुल जाता है. इस तरह के व्यक्ति का मन मोक्ष प्राप्त करने वाला होता है.

ये भी पढ़ें- चाणक्य नीति: ये 4 बातें आपके लव लाइफ को बनाती है सफल

ये भी पढ़ें- चाणक्य नीति: जीवन में अपनाएं ये चीजें, नहीं होगा कभी अपमान

 

Advertisement
Advertisement