चाणक्य की नीतियां आज के समय में भी काफी लोकप्रिय हैं. इन नीतियों की मदद से मनुष्य अपने जीवन की उलझनों को सुलझाने में सफल साबित होता है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में एक श्लोक के माध्यम से यह बताया है कि मनुष्य के लिए कौन सी गलतियां उसके जीवन पर भारी पड़ सकती हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में...
धर्म धनं च धान्यं च गुरोर्वचनमौषधम्।
सुगृहीतं च कत्र्तव्यमन्यथा तु न जीवति।।
धार्मिक कार्यों को चाणक्य ने काफी महत्व दिया है. वो कहते हैं कि मनुष्य अगर किसी धार्मिक कार्य में गलती कर बैठे तो उसे उसका फल मिलने के बजाय विपरीत परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इसलिए चाणक्य कहते हैं धार्मिक कार्यों में मनुष्य को बेहद सचेत रहना चाहिए.
इस श्लोक में आचार्य दवा का जिक्र करते हुए बताते हैं कि व्यक्ति अगर बीमारी के दौरान दवा का गलत इस्तेमाल करे तो उसका जीवन खत्म हो सकता है. इसी वजह से चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को किसी भी दवा का सेवन करने से पहले उसे उसके बारे में पूरी जानकारी को प्राप्त कर लेना चाहिए.
सुखी रहने के उद्देश्य से मनुष्य अपना पूरा जीवन धन-संपत्ति अर्जित करने में लगा देता है. चाणक्य कहते हैं कि अगर व्यक्ति को धन के सही इस्तेमाल की जानकारी न हो तो वो कुछ ही समय में नष्ट हो सकता है. ऐसे में व्यक्ति को धन के खर्च को लेकर काफी सचेत रहना चाहिए. उसे अनावश्यक रूप से और व्यर्थ के कामों के लिए खर्च नहीं करना चाहिए.
किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसके गुरु की अहम भूमिका होती है. चाणक्य के मुताबिक जो मनुष्य अपने गुरु की बात को नहीं मानते या उनकी अनदेखी करते हैं वो जीवन में मिलने वाले सुख से वंचित रह जाते हैं. साथ ही चाणक्य का मत है कि ज्यादा भोजन करने वाले व्यक्ति के जीवन में भी खुशियां नहीं आतीं, बल्कि उनके अंदर दरिद्रता घर कर जाती है. ऐसे में वो जल्द ही बर्बादी के कागार पर पहुंच जाते हैं.