Chandra Grahan 2022: साल का पहला चंद्र ग्रहण लग चुका है. यह ग्रहण वैशाख पूर्णिमा पर विशाखा नक्षत्र और वृश्चिक राशि में लगा है. ये चंद्र ग्रहण सुबह 7.02 से शुरू हो चुका है जो दोपहर 12.20 पर खत्म होगा. इस चंद्र ग्रहण की कुल अवधि करीब 5 घंटे से ज्यादा की है. ये एक पूर्ण चंद्र ग्रहण है जो भारत में दिखाई नहीं देगा. यहां दिखाई ना देने की वजह से भारत में इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा. यानी पूजा-पाठ या किसी भी तरह के शुभ कार्यों पर किसी तरह की पाबंदी नहीं होगी. ये चन्द्र ग्रहण दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखाई देगा.
ग्रहणकाल में रखें इन बातों का ध्यान- ज्योतिर्विद के मुताबिक आज का पूर्ण चंद्र ग्रहण है भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए सूतक के नियमों का पालन न करें. हालांकि चंद्रमा मन का कारक होता है और जब इस पर ग्रहण लगता है तो इसका असर सभी जातकों पर पड़ता है. चंद्र ग्रहण का असर सभी जातकों के मन-मस्तिष्क पर पड़ सकता है. ऐसा माना जाता है कि इस समय वातावरण में सबसे अधिक नकारात्मक ऊर्जा फैली हुई होती है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को खुद का विशेष ख्याल रखने की सलाह दी जाती है. ग्रहणकाल के दौरान कुछ भी खाने-पीने से भी बचना चाहिए.
मंत्रो का जाप दिलाएगा लाभ- कुछ खास बातों का ध्यान रखकर इस ग्रहणकाल का लाभ भी उठाया जा सकता है. ग्रहण के समय में शिव के विशेष मंत्रों का जाप और ध्यान करें. यह आपके लिए काफी लाभदायक होगा. अगर आप चाहते हैं कि चंद्रमा आपको परेशान न करे तो ग्रहण के बाद दान कर सकते हैं. ग्रहण के बाद चांदी, दूध, चीनी, चावल का दान करें, इससे चंद्रमा की बाधाएं दूर हो जाएंगी.
कब लगता है चंद्र ग्रहण- जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढक जाता है. इस स्थिति में आंशिक या पूर्ण चंद्र ग्रहण लग जाता है. यानी जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक ही सीध में आ जाते हैं तो चंद्र ग्रहण की स्थिति बन जाती है. चंद्र ग्रहण तीन तरह से लगता है. पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूर्ण रूप से आ जाती है. इस स्थिति में पृथ्वी चंद्रमा को पूरी तरह से ढक लेती है. दूसरा आंशिक चंद्र ग्रहण होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी पूर्ण रूप से ना आकर उसकी छाया चंद्रमा के कुछ हिस्सों पर पड़ती है. वहीं तीसरा उपछाया चंद्र ग्रहण होता है, इस स्थिति में सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में ना होकर पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है.