Chhath Puja 2022: छठ पूजा के मौके पर राजधानी दिल्ली के आईटीओ में श्रद्धालुओं का जमावड़ा दिखाई दिया. छठ पूजा के तीसरे दिन श्रद्धालु डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए यमुना के किनारे बने कृत्रिम घाट पर इकट्ठा हुए. दिल्ली में छठ पर्व मनाने वालों को यमुना नदी में खड़े होकर अर्घ्य देने पर पाबंदी है, इसलिए सूर्य को अर्घ्य देने के लिए अलग से कृत्रिम घाट की व्यवस्था की गई है ताकि यमुना को दूषित होने से बचाया जा सके.
इस साल दिल्ली में रहने वाले कृत्रिम घाट पर ही छठ पूजा कर पाएंगे. छठ पूजा के लिए यहां करीब डेढ़ से 2 लाख लोगों के आने की उम्मीद है. दिल्ली में छठ पूजा के लिए इस बार कुल 1,140 घाट बनाए गए हैं जिनमें से 1,078 घाट कृत्रिम (आर्टिफिशिय) हैं. एनजीटी का आदेश है कि यमुना नदी में किसी प्रकार की पूजन सामग्री या विसर्जन नहीं किया जाएगा.
क्यों खास होता है छठ पर्व?
छठ पूजा का व्रत कठिन व्रतों में से एक होता है. इसमें पूरे चार दिन तक व्रत के नियमों का पालन करना पड़ता है और व्रत रखने वालों को पूरे 36 घंटे निर्जला व्रत रखना पड़ता है. छठ व्रत की शुरुआत नहाए-खाय के साथ होती है. इसके बाद दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन अस्ताचलगामी अर्घ्य की परंपरा निभाई जाती है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भी व्रती महिलाएं उपवास रखती हैं और शाम में किसी नदी या तालाब में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं.
छठ के पहले अर्घ्य का महत्व
छठ का पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि को दिया जाता है. यह अर्घ्य अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. इस समय जल में दूध डालकर सूर्य की अंतिम किरण को अर्घ्य दिया जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि सूर्य की एक पत्नी का नाम प्रत्यूषा है और ये अर्घ्य उन्ही को दिया जाता है. शाम के समय अर्घ्य देने से कुछ विशेष तरह के लाभ होते हैं. इससे संतान को दीर्घायु और सुख-संपन्नता का वरदान मिलता है.